धनबाद(DHANBAD) : धनबाद को क्या एयरपोर्ट मिलेगा या सांसद ढुल्लू महतो का प्रयास बेकार जाएगा. एयरपोर्ट के लिए धनबाद में आंदोलन भी चल रहे है. एयरपोर्ट धनबाद का प्रमुख मुद्दा भी है. लोकसभा चुनाव में भी इसकी गूंज सुनाई दी. धनबाद के विकास में भी इसकी जरूरत है. लेकिन धनबाद को अभी तक एयरपोर्ट नहीं मिला है. पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने भी एयरपोर्ट के लिए प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस मांग को फाइलों में उलझा कर रख दिया गया है. धनबाद के बजाय देवघर को एयरपोर्ट मिल गया और धनबाद के लोग निराश हुए. इधर, सांसद ढुल्लू महतो ने एक बार फिर एयरपोर्ट के लिए मांग तेज की है.
झारखंड सरकार से बात कर होगी पहल
जानकारी निकाल कर आई है कि धनबाद में एयरपोर्ट के लिए केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय राज्य सरकार से बातचीत कर पहल करेगा. राज्य सरकार को एयरपोर्ट के लिए प्रस्ताव भेजंना होगा, तब जाकर आगे की कार्रवाई हो सकती है. गुरुवार को धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो ने एक बार फिर केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री से मुलाकात की. इसके पहले भी उन्होंने मुलाकात की थी. केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिया है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा. मंत्री को बताया गया कि एयरपोर्ट धनबाद के लिए बड़ा मुद्दा है. एयरपोर्ट नहीं होने से धनबाद का विकास प्रभावित है. लोगों को परेशानी हो रही है. राजस्व के मामले में धनबाद झारखंड का महत्वपूर्ण शहर है. धनबाद के सांसद के साथ जमशेदपुर के सांसद भी केंद्रीय मंत्री से मिले.
धनबाद में एयरपोर्ट का मामला बहुत पुराना है,पहले था, अब नहीं
धनबाद में एयरपोर्ट का मामला बहुत पुराना है. यह अजीब मामला है कि धनबाद में पहले हवाई अड्डा था विमान उड़ते थे लेकिन आगे चलकर इस छीन लिया गया. धनबाद में जब बहुचर्चित माफिया उन्मूलन अभियान चल रहा था, उस समय धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त मदन मोहन झा ने अधिवक्ताओं को पटना से लाने के लिए प्रयास कर विमान का परिचालन शुरू कराया था. लेकिन उनके तबादले के बाद माफिया उन्मूलन अभियान भी ठंडे बस्ते में चला गया और धनबाद के हाथ से एयरपोर्ट भी छिन गया. तब से लगातार मांग उठती रही है, लेकिन धनबाद को एयरपोर्ट नहीं मिला. कोयले की राजधानी धनबाद 4 अक्टूबर '1956 को बंगाल के मानभूम से काटकर जिला बनाया गया था. हालांकि, 1991 में इसके भी दो भाग हुए और बोकारो जिला धनबाद से अलग हो गया. उस वक्त तेज तर्रार अधिकारी अफजल अमानुल्ला धनबाद के डीसी थे. अपने जीवन में धनबाद पाया कम, उसकी हकमारी अधिक हुई, हालांकि शहर और ज़िले का विकास हुआ जरूर है लेकिन गति की कमी पहले भी थी और आज भी है.
धनबाद की आंचल में कई संस्थाने है, सबको है एयरपोर्ट की जरुरत
धनबाद की आंचल में आईआईटी,आईएसम, सिफर, डीजीएमएस, सीएमपीएफ के मुख्यालय है. वहीं बीसीसीएल इसील सहित सेल की खदाने है. लेकिन इस ज़िले के पास दुखों का पहाड़ भी छोटा नहीं है. खूब हो हल्ला के बाद भी धनबाद को एयर कनेक्टिविटी नहीं मिला. धनबाद इसकी सारी आहर्ता पूरी करता है ,लेकिन राजनितिक कारणों से इस ज़िले को लाभ से वंचित रखा गया. एयर पोर्ट, हम कह सकते है कि धनबाद से छीन कर देवघर को दे दिया गया. जब यहां के लोग मांग तेज करते है तो लॉलीपोप थमा दिया जाता है. धनबाद को अभी तक कोई सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं मिल पाया. धनबाद के साथ नाइंसाफी कर एम्स को भी देवघर ले जाया गया. धनबाद में खिलाड़ियों की कमी नहीं है. ताकतवर क्रिकेट और फुटबॉल सहित अन्य खेलो का संघ भी है. मांग भी होती है, रांची से लेकर दिल्ली तक. ट्रैफिक यहां के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है. शहर का जिस तेजी से विस्तार हुआ, उस अनुपात में सड़कों या फ्लाईओवर का निर्माण नहीं हुआ. पार्किंग की भी कोई कारगर उपाय नहीं किये गए. 1972 में जहा ज़िले की जनसंख्या 12 लाख के आसपास थी वही अभी की आवादी 28 लाख से अधिक है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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