टीएनपी डेस्क(TNP DESK): यह बात बहुत हद तक सही है कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में नक्सली कमजोर हुए हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए घटनाएं कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा इसका उदाहरण है, जहां पिछले सप्ताह नक्सलियों ने 10 जवानों को उड़ा दिया था. इनमें 8 पूर्व नक्सली थे. सरेंडर करने के बाद मुख्यधारा में लौट आए थे, फिर डीआरजी में शामिल हो गए थे. इस घटना ने एक बार फिर नक्सलियों को चर्चा में ला दिया है.
सर्च ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के 8 कैंप को किया ध्वस्त
झारखंड में भी नक्सली छिटपुट घटनाएं कर रहे हैं. हालांकि सरकारी सूत्र बताते हैं कि राज्य में नक्सलवाद बुझते दिए की तरह फड़फड़ा रहा है. लेकिन नक्सली अभी भी कहीं ना कहीं अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की फिराक में है. अभी हाल ही में झारखंड के चाईबासा में एक करोड़ का इनामी नक्सली व दक्षिण पूर्वी जोन का ब्यूरो हेड मिसिर बेसरा पुलिस के हाथों से फिसल गया. पुलिस रविवार सुबह 5 बजे छापेमारी की लेकिन वह शनिवार की रात को ही वहां से निकल गया. पश्चिमी सिंहभूम जिला पुलिस सुरक्षा बलों ने गोइलकेरा मनोहरपुर सीमा क्षेत्र के गम्हरिया पंचायत के अंबिया गांव के जंगल में रविवार की सुबह सर्च ऑपरेशन चलाया. इस दौरान जंगल की पहाड़ी पर बनाए गए नक्सलियों के 8 कैंप को ध्वस्त कर दिया गया. कैंप के पास बनाए गए लगभग 2 दर्जन चूल्हो को भी नष्ट किया गया. साथ ही टेंट, डेटोनेटर, सिरिंज, इलेक्ट्रिक वायर भी बरामद किया गया है. पुलिस व सुरक्षा बलों के पहुंचने के पहले नक्सली कैंप छोड़कर भाग गए थे. वहां से बरामद सामानों को देखकर अंदाज लगाया जा रहा है कि वहां नक्सलियों के शीर्ष नेता एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा की टीम मौजूद थी. पुलिस को पक्की सूचना थी कि मिसिर बेसरा अपनी टीम के साथ मौजूद है. लेकिन पुलिस की गतिविधियों की सूचना नक्सलियों को लग गई और वहां से निकल गए. सुरक्षाबलों ने वह देखा कि पेड़ की सूखी डाली और पत्तों के सहारे कैंप बनाया गया था. उनकी योजना रही होगी की घात लगाकर सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया जाए. कैंप स्थल पर ही भोजन आदि की व्यवस्था कर रखी थी. दो दर्जन चूल्हे भी मिले थे .इसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह भारी भरकम दस्ता था.
नक्सलवाद बुझते दिए की तरह फड़फड़ा रहा : हेमंत सोरेन
इधर, 29 अप्रैल को उड़ीसा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नक्सली गतिविधियां अंतिम पड़ाव पर है. नक्सली कमजोर हो चुके हैं. नक्सलवाद बुझते दिए की तरह फड़फड़ा रहा है. हालाकि कुछ घटनाएं हो रही है लेकिन भरोसा है कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिसा मिलकर इस पर अंकुश लगाने में कामयाब हो जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों झारखंड में नक्सलियों के गढ़ रहे बूढ़ा पहाड़ पर पहली बार प्रशासन पहुंचा. यहां से नक्सलियों को खदेड़ने के बाद अब विकास की योजनाएं पहुंच रही है. नक्सलियों को सरेंडर करा कर मुख्यधारा से जोड़ने की भी कोशिश की जा रही है और बहुत जल्द ही इसमें सफलता भी मिलने की उम्मीद मुख्यमंत्री ने जताई है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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