धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल के "किंग" रहे पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के बड़े बेटे राजीव रंजन सिंह का डेथ सर्टिफिकेट धनबाद नगर निगम ने निर्गत कर दिया है. यह सर्टिफिकेट राजीव रंजन के छोटे भाई के आवेदन पर निर्गत हुआ है. कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह की हत्या के बाद राजीव रंजन सिंह अकेले कोलकाता के लिए निकले, लेकिन लौटकर नहीं आये. प्रमोद सिंह को किसने मारा, यह सवाल आज भी यथावत बना हुआ है. 2003 में भी सवाल था और 2023 में भी सवाल है. चर्चा तब भी थी और आज भी है कि धनबाद और यूपी के बाहुबलियों की लड़ाई में प्रमोद सिंह मारे गए. लेकिन किसने मारी या किसने मरवाया ,इसका उत्तर अभी भी पहेली बना हुआ है. यह बात भी सच है कि प्रमोद सिंह की हत्या के बाद कोयलांचल की माफियागिरी की दिशा और दशा बदल गई. प्रमोद सिंह यूपी के बाहुबली बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे. वह धनबाद और यूपी में बृजेश सिंह के कोयले का काम को देखते थे.
कोयला कारोबारी के रूप में गिनती होने लगी थी प्रमोद सिंह की
धनबाद में भी धीरे -धीरे कोयला कारोबारियों में उनकी गिनती होने लगी थी कि अचानक 3 अक्टूबर '2003 को धनबाद के धनसार स्थित उनके आवास के पास गोलियों से उनको भून दिया गया. बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इस हत्याकांड में सिंह मैंशन के रामाधीर सिंह और उनके भतीजे राजीव रंजन सिंह(स्व सूर्यदेव सिंह के पुत्र) को आरोपी बनाया. आरोप लगने के बाद राजीव रंजन सिंह धनबाद से अकेले ही कोलकाता के लिए निकले लेकिन कोलकाता जाना उनके लिए काल बन गया. आज तक उनका कुछ भी पता नहीं चला है. प्रमोद सिंह की हत्या तीन अक्तूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र के बीएम अग्रवाल कॉलोनी में गोली मारकर कर दी गई थी.प्रमोद सिंह सुबह वाराणसी से ट्रेन से लौट कर अपने घर धनसार जा रहे थे. घर से थोड़ी ही दूरी पर हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसाई थी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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