रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति का एक बड़ा निर्णय केंद्र की भाजपा सरकार ने लिया है.पांच साल तक झारखंड में सरकार का नेतृत्व करने वाले रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. इस संबंध में राष्ट्रपति भवन ने अधिसूचना जारी कर दी है. रघुवर दास को पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया था. लेकिन अब वह एक राज्य के राज्यपाल बने हैं.
कड़क मुख्यमंत्री के रूप में काम किया
झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास ने पांच साल तक काम किया. विकास के कार्य पर उनका अधिक फोकस रहा. कुछ कठोर निर्णय लेने के लिए भी वे जाने जाते रहे हैं.नौकरशाही पर उनका अपना कड़ा प्रभाव रहता था. इससे पहले भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अलग राज्य झारखंड बनने के बाद वह पहली सरकार में भी मंत्री रह चुके थे. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिस्थितियां उनके पक्ष में नहीं रहीं जिन कारणों से वह अपनी सीट तो हार ही गए और भाजपा नेतृत्व वाली सरकार भी सत्ता से बाहर हो गई. हार के कई कारण बनाए जा सकते हैं.रघुवर दास थोड़े स्वभाव से भी अक्खड़ किस्म के इंसान हैं. जिद्दी स्वभाव की वजह से भी कई ऐसे निर्णय प्रतिकूल चले गए. रघुवर दास और सरयू राय के बीच छत्तीस का संबंध सभी को पता है. जानकार यह भी मानते हैं कि सरयू राय का टिकट काटने की वजह से विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए अच्छा संदेश नहीं गया. सरयू राय के हाथों रघुवर दास चुनाव हार गए. कई विधानसभा सीटों पर भी टिकट बंटवारा में गलत निर्णय हुआ.इस कारण से पार्टी को सीटों का नुकसान हुआ और वह सत्ता से बाहर हो गई.
झारखंड की सक्रिय राजनीति से दूर हो गए रघुवर दास?
राज्यपाल बनने के बाद से अब उनकी भारतीय जनता पार्टी में सक्रियता नहीं रहेगी. अब वे लाट साहब बन गए हैं. झारखंड की राजनीति में भाजपा के पलड़े में बाबूलाल मरांडी के आने के बाद यह समझा जा रहा था कि अब पार्टी का भविष्य बाबूलाल मरांडी के साथ जुड़ गया है. बाबूलाल मरांडी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव से अधिक महत्वपूर्ण झारखंड विधानसभा का चुनाव है. इस चुनाव में पार्टी का बेहतरीन प्रदर्शन कर उसे सत्ता में लाने की जवाबदेही बाबूलाल मरांडी के ऊपर फिक्स हो गई है. रघुवर दास के झारखंड की राजनीति से बाहर चले जाने से उनकी राह अब और आसान हो गई है. राज्यपाल नियुक्त होने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रघुवर दास को बधाई दी है.
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