जमशेदपुर(JAMSHEDPUR):जमशेदपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना बेटी बचाव बेटी पढ़ाव के सपने को साकार कर रहा है तिरिंग गांव, जमशेदपुर से महज 25 किलोमीटर दूर बसा यह तिरिंग गांव मे घरों की पहचान उस घर के पुरुष से नहीं बल्कि उस घर के बेटी से की जाती है, इस निर्णय से गांव के बेटियों मे है खुसी की लहर,..... देखिये जमशेदपुर से यह खास रिपोर्ट.....
बेटियों के नाम से जाना जाता है घर
देश मे आप सहिदों और महापुरुषों के नाम पर गांव घर का नाम सुना होगा, मगर झारखण्ड के पूर्वी सिंघभूम जिला के पोटका प्रखंड का तिरिंग गांव जँहा घर के पुरुष की जगह पर घर के बेटियों के नाम से घर की पहचान की जाति है, तिरिंग गांव मे हर युवतियाँ स्कूल जाति है, और घर उनके नाम पर रहने से लड़कियों मे पढ़ाई की भी होड़ लगी है, और युवतियाँ पढ़ कर और अपने गांव का नाम ऊँचा करने मे लगी हुई है, 2016. मे इस अभियान की शुरुआत की गईं थी, ज़ब से आज तक यह अभियान चल रहा है और यंहा के घरों पर उस घर की बेटियों का ही नाम लिखा जाता रहा है, इस अभियान से यंहा की बेटियों मे उन्हें अपने ऊपर गर्व भी है, और उन्हें इससे काफी खुसी भी मिल रही है,
बिना दहेज के होती है शादी
वंहीं आप को सबसे बड़ी बात बता दें कि पूरी तरह से आदिवासी गांव होने के कारण इस गांव मे बेटियों की शादी मे दहेज नहीं दिया जाता है, लड़कियां बिना दहेज के शादी हो कर यंहा से अपने ससुराल जाति है, गांव के लोगो का भी कहना है कि उनके समाज मे शादी मे दहेज प्रथा नहीं है, बेटियों को पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाना ही गांव के परिवार के लोगों का मुख्य उदेश्य है, वंही इस गांव की बेटियों की माने तो कई जगहों पर भ्रूण हत्या एवं बेटियों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आता रहता है, मगर उनके गांव मे इस तरह का मामला कभी नहीं हुआ है, लड़कियों का भी मानना है कि जो परम्परा उनके गांव मे है वैसी परम्परा आस पास के किसी गांव मे नहीं है, उन्हें अपने गांव पर गर्व महसूस होता है।
बेटी होने पर गर्व महसूस करती है
तिरिंग गांव की पहचान उस गांव मे रहने वाली लड़कियो से की जाति है, जिसको लेकर पूर्वी सिंघभूम का पोटका का तिरिंग गांव का चर्चा अब झारखण्ड मे ही नहीं बल्कि झारखण्ड के बाहर भी इस गांव की चर्चा हो रही है,।जिस प्रकार तिरिंग गांव मे बेटियों को महत्व देकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है, इस प्रकार हर गांव और हर शहर मे इस तरह के हालात हो तो वो दिन दूर नहीं ज़ब किसी को बेटी होने पर गर्व महसूस ना हो, और लोग बेटियों को प्रताड़ित भी नहीं करेंगे, बेटी होने पर दुख नहीं बल्कि खुसी मनाएंगे।
रिपोर्ट रंजीत कुमार ओझा
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