देवघर(DEOGHAR): भगवान शिव को बेलपत्र अतिप्रिय है. जानकारों के अनुसार शिव भोलेदानी हैं. इन्हें जो भी अर्पित कर दीजिए उसी से प्रसन्न हो जाते हैं. अमीरी गरीबी से इन्हें कोई मतलब नहीं. इनके दरबार मे सब एक जैसे है. यही कारण है कि भगवान शिव सिर्फ जल और बेलपत्र से ही सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं.
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बैद्यनाथ धाम में लगता है दुर्लभ और अदभुत बेलपत्रों की प्रदर्शनी
देवघर के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग के रुप में भी जाना जाता है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन के पवित्र माह में बाबा का जलाभिषेक करने यहां आते है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण में गंगाजल से बाबा का जलाभिषेक से सभी मनोकामना पूरी होती है, लेकिन गंगाजल के साथ बेलपत्र भी बाबा को अतिप्रिय है. बेलपत्र की इसी महत्व के कारण यहां के पुरोहित दूर-दराज के जंगलो से कई दुर्लभ प्रजाति के बेलपत्र चुन कर लाते है और बाबा को अर्पित करते है. इनके द्वारा एक बेलपत्र की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है जो किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में नहीं देखा जाता है. विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम की अपनी कुछ अलग पहचान है जो की इस धाम में बखूबी देखने को मिलता है. इसी में से एक है बेलपत्र प्रदर्शनी का जो की इस ज्योतिर्लिंग को अन्य ज्योतिर्लिंग से अलग बनाता है.
यह दुर्लभ बेलपत्र यहा के पुरोहित सैकड़ों किलोमीटर की दूरी स्थित जंगलों से लाते है
श्रावणी मास के प्रत्येक सोमवार को मंदिर परिसर में अलग-अलग पुरोहितो द्वारा यहां आये श्रद्धालुओ के लिए एक आकर्षण का केंद्र बेल पत्र की प्रदर्शनी लगा कर किया जाता है. यह दुर्लभ बेलपत्र यहां के पुरोहित सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित जंगलों से लाते है. बमबम बाबा द्वारा शुरू की गई सदियों पुरानी यह परंपरा आज तक चली आ रही हैं. बेलपत्र को चांदी की थाली में आकर्षक ढ़ंग से सजाया जाता है. प्रदर्शनी के बाद इसे बाबा बैद्यनाथ को अर्पित कर दिया जाता है.
श्रद्धालु इस दुर्लभ बेलपत्र प्रदर्शनी का खूब लेते हैं आनंद
बाबा मंदिर प्रांगण के विभिन्न मंदिरों में चांदी की थाली में सजे दुर्लभ बेलपत्रों को देखकर श्रद्धालु इसका खूब आनंद तो लेते भी है. साथ ही साथ अनोखा बेलपत्रों के बारे में पुरोहितों से जानकारी भी लेते है. श्रद्धालुओं की मानें तो अभी तक के अपने जीवनकाल में इस तरह की प्रदर्शनी और बेलपत्र कही नही देखा है.
इसी विशेषता के कारण अन्य ज्योर्तिलिंगों से अलग है यहाँ का ज्योर्तिलिंग
भगवान शिव त्रिनेत्र धारी कहलाते हैं. उनकी तीसरी आंख की तरह बेलपत्र दिखाई देती है. बेलपत्र को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे त्रिनेत्र के अलावा देवियों की आंख का साक्षात दर्शन हो रहा है. इसलिए पवित्र श्रावण मास में आयोजित यह बेल पत्र प्रदर्शनी बैद्यनाथ धाम की खास विशेषताओं में से एक है तभी तो यहां आये श्रद्धालु इस दुर्लभ प्रदर्शनी का आंनद लेते है जो किसी अन्य ज्योतिर्लिंगो में नही देखा जाता है.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा
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