धनबाद(DHANBAD): धीरे-धीरे यह साफ होने लगा है कि भारतीय जनता पार्टी "2024 के लोकसभा चुनाव के लिए आदिवासी समुदाय को टारगेट में रखकर काम कर रही है. वह लगातार देशभर में आदिवासियों को कुछ ना कुछ संदेश दे रही है. चाहे वह द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का मामला हो या भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभी हाल के झारखंड दौरे को भी इससे जोड़कर देखा जा सकता है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर भी इस रणनीति का भाजपा इशारा कर रही है. बीजेपी छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री देकर भविष्य की कई रणनीति को एक साथ साधने की कोशिश की है. पार्टी ने दो उपमुख्यमंत्री बनाकर सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाने का भी प्रयास किया है.
छत्तीसगढ़ में एक तीर से कई निशाने
छत्तीसगढ़ में भाजपा सामाजिक, राजनीतिक और पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को पूरी तरह साधते हुए लोकसभा चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखा है. शायद यही वजह है कि आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री और उनके साथ ओबीसी समुदाय से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को और सामान वर्ग के विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी इसी रणनीति को दोहरा दिया जाए, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. ऐसा कर झारखंड और ओड़िसा को भी साधने की कोशिश की गई है. ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा का चुनाव होना है. आदिवासी मुख्यमंत्री के जरिए देशभर के आदिवासी समुदाय को भाजपा ने एक संदेश देने की कोशिश भी की है. छत्तीसगढ़ में लगभग 33 फ़ीसदी आदिवासी आबादी है, लेकिन इसके पहले जब राज्य में भाजपा की तीन बार सरकार बनी, तब उसने डॉक्टर रमन सिंह पर ही भरोसा बनाए रखा. इस बार बड़ा बदलाव किया गया है. वैसे भाजपा की नजर झारखंड पर भी गड़ी हुई है. ओडिशा भी इसके टारगेट में है. बिहार और बंगाल से संभावित नुकसान को देखते हुए कुछ राज्यों में भाजपा पूरी ताकत लगाएगी, कोशिश तो यह भी करेगी कि उत्तर प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा का परचम लहरे.
कुछ ऐसा था 2019 में उत्तर प्रदेश का गणित
यूपी की 80 सीटों पर 2019 में हुए चुनाव में एनडीए ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में एनडीए में बीजेपी और अपना दल (एस) एक साथ मिलकर लड़े थे और एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर रहा था. जिसमें बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल (एस) को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. वहीं महगठबंधन (बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. जिसमें बसपा को 19.43 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था. इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 6.36 वोट शेयर मिला था. वैसे झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इस राजनीति को समझ रहा है और वह भी अपनी तरकश के तीरों को कुंद नहीं होने देना चाहता. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ताबड़तोड़ भाजपा पर राजनीतिक हमले तेज किए हुए है. भाजपा भी पीछे नहीं है. मुख्यमंत्री को हर एक सभा में टारगेट में लिया जा रहा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा आदिवासी समुदाय को टारगेट में लेकर चल रही है और अपना एक बड़ा वोट बैंक तैयार करने की लगातार कोशिश कर रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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