सरायकेला (SARAIKELA) : जिले के डीसी अरवा राजकमल की पहल से अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हुए पांच आदिवासी बच्चों को प्रशासनिक सहारा मिला है. अनाथ सभी बच्चों का भविष्य उज्जवल करने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रशासन द्वारा पहल की जा रही है. बड़ी बच्ची को सरायकेला के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में एडमिशन कराया गया है जबकि तीन छोटे बच्चों को चक्रधरपुर के मधुसूदन आवासीय विद्यालय में निशुल्क रूप से पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है. वहीं एक बड़े बच्चे को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर उसे आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है.
चार वर्ष पहले अनाथ हुए थे बच्चे
अनाथ सभी बच्चे सरायकेला थाना के देहरीडीह के रहने वाले हैं. इन बच्चों के माता-पिता की चार वर्ष पूर्व ही मौत हो चुकी है. यह सभी आस पड़ोस की मदद से किसी तरह टूटे-फूटे मकान में रहकर जीवन काट रहे थे. इनकी बेबसी की कहानी के बारे में कुछ दिन पूर्व ही डीसी अरवा राजकमल को मिली. जिसके बाद उन्होंने इन सभी बच्चों के भविष्य सुधारने का संकल्प लिया. चाईबासा में डीसी पद पर रहने के दौरान कई अनाथ बच्चों का भविष्य उज्जवल करने हेतु पहल करने वाले डीसी अरवा राजकमल को यह याद आया कि चाईबासा में उनके इस कार्य में नोआमुंडी में कार्यरत टाटा स्टील फाउंडेशन काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है, फिर उन्होंने एक बार फिर इन बच्चों का भविष्य सुधारने हेतु नोआमुंडी में कार्यरत टाटा स्टील फाउंडेशन से संपर्क साधा और उनकी मदद से सीएसआर के तहत इन बच्चों का भविष्य बेहतर करने हेतु प्रयास शुरू किया गया. बाल संरक्षण विभाग, समाज कल्याण विभाग और टाटा स्टील फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास अब इन पांचों अनाथ बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पहल की जा रही है.
रिपोर्ट: विकास कुमार, सरायकेला
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