सरकारी लगभग एक करोड़ रुपए का कैसे हुआ बंटाधार, धनबाद के इस भवन को देखिये


धनबाद(DHANBAD): सरकारी पैसों का दुरुपयोग देखना हो, तो आइए धनबाद के बरटांड़ में. श्रम नियोजन और प्रशिक्षण विभाग के बरटांड़ स्थित कार्यालय परिसर में शेल्टर होम का निर्माण हो तो गया है, लेकिन हैंडोवर के पहले ही यह भवन खंडहर का रूप ले रहा है. जानकारी के अनुसार लगभग नब्बे लाख रूपए की लागत से इस भवन का निर्माण कराया गया है. शेल्टर होम में होटल, रेस्टोरेंट सहित अन्य प्रतिष्ठानों या रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू होने वाले बाल श्रमिकों को रखा जाना था. यह रखने के बाद उनके अभिभावकों की तलाश कर उन्हें हैंडोवर करने की योजना थी. लेकिन इस भवन के चारों ओर जंगल उग आए हैं, दरवाजे टूट गए हैं, प्लास्टर गिरने लगे हैं.
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क्यों हुई थी शेल्टर होम की जरूरत
तत्कालीन उपायुक्त प्रशांत कुमार के कार्यकाल में इसका निर्माण शुरू हुआ था. चूंकि बाल श्रमिकों को चाइल्ड लाइन के पास 24 घंटे से अधिक समय तक नहीं रखा जा सकता है. इसलिए रेस्कू किए बच्चों को हैंडओवर करने तक उन्हें शेल्टर होम में रखना होता है. इस कारण धनबाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों से रेस्क्यू के बाद बच्चों को बोकारो भेजना पड़ता था. इसी वजह से धनबाद में शेल्टर होम की जरूरत महसूस हुई थी. निर्माण के बाद भवन को समाज कल्याण विभाग को हैंडोवर होना था, जो अब तक नहीं हो पाया है.
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अधिकारी मौन
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इलाके के समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने कहा कि 90 लाख की लगत से भवन तैयार हुआ है. कंप्यूटर आदि लगाने की व्यवस्था की गई थी लेकिन उस भवन का कोई उपयोग नहीं किया गया. वह भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया. वह लगातार इस मामले को उठाते रहे हैं लेकिन कहीं से कोई सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह, धनबाद
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