उम्मीद : नागाडीह कांड की पांचवीं बरसी,अब भी परिवार को न्याय का इंतज़ार


जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): गड़े मुर्दा उखाड़ना शांति भंग करता है लेकिन अगर परिवार को न्याय न मिले तो कोई क्या करे? नागाडीह कांड की पांचवीं बरसी पर घर पर ही श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर न्याय की आस लगाए परिजनों ने एक बार फिर न्याय की गुहार लगाई है. आज से पांच साल पहले बच्चा चोर के अफवाह में बागबेड़ा के गौतम वर्मा, विकास वर्मा, उनकी दादी रामसखी देवी और गौतम/विकास के दोस्त गंगेश गुप्ता की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. दुखद यह था कि ये घटना पुलिस की मौजूदगी में हुआ. लेकिन पुलिस भीड़ के सामने बेबस रही और पुलिस ने बल प्रयोग नहीं किया.
क्या है नागाडीह कांड
17 मई 2017 को जमशेदपुर के जुगसलाई के नया बस्ती के रहनेवाले विकास वर्मा, गौतम वर्मा, उनकी दादी रामसखी देवी, विकास/गौतम के दोस्त गंगेश गुप्ता को उन्मादी भीड़ ने लाठी, डंडों, पत्थर से पीट पीटकर मार डाला. दोनों भाई विकास वर्मा, गौतम वर्मा और उनके दोस्त गंगेश गुप्ता की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि बुरी तरह घायल दादी रामसखी की कुछ दिनों तक टीएमएच में इलाजरत रहने के बाद मौत हो गई थी. घटना के दौरान घायल हुए मामले के चश्मदीद गवाह सह भाई उत्तम वर्मा ने बताया कि सेफ्टी टैंक के काम के सिलसिले में वे भाई विकास वर्मा के साथ बाइक से नागाडीह गए थे जहां भीड़ ने उन्हें बच्चा चोर कहकर घेर लिया, उनकी पुष्टि के लिए जब गौतम वर्मा, गंगेश गुप्ता और दादी रामसखी देवी पहुंची तो भी भीड़ ने नहीं सुनी और उनको भी घेरा, उसके बाद लाठी, डंडों, पत्थरों से मरते दम तक पीटती रही. पुलिस भी असहाय बनी रही.
अब तक मुख्य पांच अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त से बाहर, दो अनुसंधान कर्ताओं ने नहीं दी गवाही
मामला सुर्खियों में आने पर शुरू में काफी धरपकड़ हुई. अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें से अधिकांश को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. वहीं घटना के पांच मुख्य अभियुक्त विभीषण सरदार, डा मार्डी, भगत मार्डी, सूरज सरदार और सुभाष हांसदा को पुलिस ने फरार घोषित किया है. उधर, कोर्ट की तरफ से बार-बार नोटिस देने के बावजूद दो अनुसंधानकर्ताओं एएसआई अवधेश और गणेश नारायण ने गवाही नहीं दी.
mob लिंचिंग को धर्म के चश्मे से देखने वाली राजनीति के बीच गुप्ता और वर्मा परिवार आज भी न्याय के इंतजार में है. 2019 के सरायकेला में हुए तबरेज कांड ने खूब सुर्खियां बटोरी, मुआवज़े भी मिले, नेताओं ने सुधि भी ली. मगर नागाडीह कांड के पीड़ितों को झारखंड के नेताओं ने भुला दिया. एक ही परिवार के तीन सदस्यों और करीबी परिवार के बेटे को खोकर ये दोनों परिवारों ने मानो सब कुछ खो दिया.
रिपोर्ट: अन्नी अमृता, ब्यूरो हेड(जमशेदपुर)
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