चतरा(CHATRA) : यह कभी हो नहीं सकता कि मां और बेटे की उम्र में फासला महज सात साल हो. लेकिन दस्तावेजों में यह अद्भुत, अकल्पनीय और सच है. दुर्भाग्य यह है कि दोनों शिक्षक हैं और एक सरकारी स्कूल में पढ़ा भी रहे हैं. सरकारी स्कूल सदर थाना क्षेत्र के लेम पंचायत के लातवेद गांव का वह स्कूल है जहां दोनों मां बेटा एक ही स्कूल में जमे हुए हैं. लेकिन पैसों के बल पर इनके फर्जीवाड़े की जांच अब तक नहीं हो पाई है.
पूरा मामला
पंचायत के लेम पंचायत के लातवेद गांव के सरकारी स्कूल में अरविंद कुमार प्रधानाध्यापक हैं और उसकी मां सुनीता देवी शिक्षिका है. दोनों की उम्र का फासला महज सात साल के करीब है. अरविंद कुमार का सर्टिफिकेट में जन्म तिथि 25.11. 1986 है. उन्होंने चतरा के एसएस हाई स्कूल से तृतीय श्रेणी में परीक्षा पास की है. जिसका रोल कोड 402 और रोल नंबर 158 है. उन्होंने वर्ष 2002 में यह परीक्षा पास की है. इसी सर्टिफिकेट के आधार पर अरविंद कुमार को पारा शिक्षक की नौकरी मिली थी और वर्षों से वे पारा शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं. दूसरी ओर इनकी मां सुनीता देवी है उन्होंने हिंदी विद्यापीठ देवघर से 2007 में प्रवेशिका की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की थी. उनका जन्म तिथि प्रमाण पत्र के अनुसार 3 मई 1980 अंकित है. इसके बाद सुनीता देवी ने इंटरमीडिएट की परीक्षा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, कामेश्वर नगर दरभंगा से की है. मां और बेटे की उम्र में उम्र का फासला महज सात साल का हो ही नहीं सकता है. स्पष्ट है कि या तो मां का सर्टिफिकेट फर्जी है या बेटा का. शिक्षा विभाग का हाल देखिए दोनों नौकरी कर रहे हैं. दोनों को मानदेय भी मिल रहा है, वो भी वर्षों से. फिर भी शिक्षा विभाग चुप बैठा है. आखिरकार यह कैसे संभव हो सकता है. शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह ने अब जांच की बात कही है.
रिपोर्ट: संतोष कुमार, चतरा
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