सारंडा में दर्जनों लोगों में कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्ष्ण मिले, एक महिला में रोग की पुष्टि


चाईबासा(CHAIBASA): सारंडा जंगल के गांवों में कुष्ठ रोग के संदिग्ध मरीजों का मिलना चिंता का विषय बनता जा रहा है. पिछले दिनों सारंडा क्षेत्र के लोकप्रिय समाजसेवी संतोष पंडा ने सारंडा के धर्नादिरी गांव से कुष्ठ रोग से ग्रसित एक महिला की खोज की थी. उसे स्वंय गांव से लाकर सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु जेनरल अस्पताल में भर्ती करया था. बाद में उन्होंने झारखण्ड सरकार व जिला उपायुक्त को ट्वीट कर मामले की जानकारी दी थी. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम कुष्ठ रोग से ग्रसित महिला का प्राथमिक उपचार किया था. उक्त महिला आज भी सेल अस्पताल में भर्ती है जिसका निःशुल्क इलाज सेल अस्पताल प्रबंधन कर रहा है. दूसरी तरफ संतोष पंडा ने पिछले कुछ दिनों से सारंडा के विभिन्न गांवों का भ्रमण कर संदिग्ध मरीजों की तलाश कर रहे हैं. संतोष पंडा ने बताया कि किरीबुरु थाना अन्तर्गत सारंडा जंगल में बसे मिर्चीगडा़ गांव में 8, कलैता में 3, करमपदा में 2 तथा नवागांव में 1 संदिग्ध मरीज को खोजा गया है.
मरीजों की संख्या में हो सकता है और भी इजाफा
हालांकि, यह संख्या और भी बढ़ सकती है क्योंकि सभी गांवों का अब तक दौरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अब तक पहचान किये गये संदिग्ध मरीजों को चिकित्सक के पास ले जाकर सभी का स्क्रिनिंग कराने की योजना है. स्क्रिनिंग के बाद हीं स्पष्ट होगा कि इन मरीजों में कुष्ठ रोग के प्रारम्भिक लक्षण है अथवा कोई अन्य चर्म रोग है. उन्होंने कहा कि धर्नादिरी गांव की जिस महिला का इलाज सेल अस्पताल में चल रहा है, उसमें कुष्ठ रोग होने की बात प्रमाणित हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि भारत ने आधिकारिक रूप से वर्ष 2005 में कुष्ठ रोग को समाप्त कर दिया था और उस समय राष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रसार दर 0.72 प्रति 10,000 लोगों तक पहुंच गई थी. WHO के अनुसार, रोग समाप्ति का अर्थ उस स्थिति से है जब प्रसार दर 1 प्रति 10000 पर होती है. अगर सारंडा के गांवों में कुष्ठ रोगों से ग्रसित मरीज मिलते हैं तो यह गंभीर मामला हो सकता है. क्योंकि, इसको लेकर अंधविश्वास भी काफी फैलता है. अर्थात ऐसे रोग से ग्रसित मरीजों से यह बीमारी का संक्रमण अन्य में फैलने, बीमारी से ग्रसित परिवार में शादी-व्याह से जुड़ी परेशानी आना आदि अंधविश्वास पहले से फैलती रही है. इसको लेकर झारखण्ड स्वास्थ्य विभाग की टीम को विशेष कैंप लगाकर ऐसे मरीजों का स्क्रिनिंग कराने की जल्द आवश्यकता है.
रिपोर्ट: संदीप गुप्ता, गुवा(चाईबासा)
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