धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के लोगों की दानवीरता और जिला प्रशासन के सहयोग से आज नई जिंदगी लेकर चेन्नई से धनबाद लौटा चार वर्षीय आरव तो अभी कुछ बोल नहीं पा रहा है लेकिन वह अपनी जिंदगी के लिए धनबाद के लोगों का हमेशा-हमेशा के लिए ऋणी हो गया है. उसके माता-पिता और परिजनों के चेहरे पर आज की मुस्कान बता रही है कि धनबाद के लोग उसके कितने अपने हैं.
और ऐसे हो गया 25 लाख का जुगाड़
धनबाद के दुहाटांड़ के रहने वाले अजय साव का चार वर्षीय पुत्र गंभीर बीमारियों से जूझ रहा था. धनबाद से लेकर रांची तक बच्चे का इलाज जितना संभव हो सका, परिवार वालों ने कराया. लेकिन, मुसीबत तब पहाड़ बनकर खड़ी हो गई जब डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे का लीवर ट्रांसप्लांट कराना होगा. पहली समस्या तो लीवर जुगाड़ करने की थी और दूसरी बड़ी समस्या आ रही थी धन की. डॉक्टरों ने कुल 25 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान बताया था. यह राशि अजय साव के लिए जुगाड़ करना उनके बूते की बाहर की बात थी.
ईश्वर ने जिंदगी दी है, उसे कौन मार सकता
वो कहते हैं ना कि जिसे ईश्वर ने जिंदगी दी है, उसे कौन मार सकता है. यही बात आरव के केस में भी चरितार्थ हुई. धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता अंकित राजगढ़िया, बंटी विश्वकर्मा, चतुर्भुज कुमार, रवि शेखर, सुभाष कुमार की टीम ने जब यह सब जाना-समझा तो उन्होंने आरव को बचाने का बीड़ा उठाया. भगवान उन्हें मदद करते चले गए और आज आरव की जिंदगी बच गई है.
आरव मांगे जिंदगी, नाम से शुरू हुई मुहिम
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक मुहिम चलाई थी, जिसका नाम दिया था - आरव मांगे जिंदगी. धनबाद के उपायुक्त और स्वास्थ्य विभाग ने पांच लाख रुपए की मदद की, लेकिन बाकी 20 लाख रुपए का जुगाड़ धनबाद के लोगों के सहयोग से हुआ और चेन्नई के ग्लोबल अस्पताल में डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद आरव के लीवर का ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो गया. उसकी मां ने लीवर दिया और आज खुशी-खुशी आरव और उसका परिवार धनबाद के लोगों को धन्यवाद करते हुए अपने घर पहुंचा.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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