रांची(RANCHI): दिसंबर का महीना शुरू होने वाला है. राज्य में कपकपाती ठंड भी पड़ने लगी है. लोग जैकेट, कंबल और मफलर बांधे सड़कों पर निकलने लगे हैं. बावजूद ठंड इतनी है कि इससे भी उनका गुजारा नहीं हो रहा है. मगर, राज्य में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए ठंड अभी नही आई है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उनके पास ना स्वेटर है और ना ही जूते. ऐसे में ये बच्चे बिना स्वेटर और जूतों के ही स्कूल जाते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि जहां बड़े ठंड से कांप रहे हैं. बिना जैकेट और स्वेटर के घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं, घर में रह रहे हैं तो रजाई और कंबल ओढ़े, तो ऐसे में बच्चों पर क्या बीत रही होगी. अब सवाल होगा कि बच्चे बिना स्वेटर और जूतों के स्कूल क्यों जा रहे हैं. क्योंकि बच्चों को सरकार की तरफ से जो स्वेटर और जूतों के लिए पैसे मिलने वाले थे, वे नहीं मिले. जानकर हैरानी होगी कि राज्य के 13 लाख से ज्यादा बच्चों को स्वेटर और जूते खरीदने के लिए पैसे नहीं मिले हैं, जबकि विभाग की ओर से इसकी मंजूरी भी मिल गई है.
ड्रेस और स्वेटर के लिए सरकार बच्चों को देती है सहायता राशि
सरकारी स्कूल में आमतौर पर पढ़ने वाले बच्चे गरीब घरों से आते हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वे नया ड्रेस और स्वेटर, जूते खरीद सके. ऐसे में सरकार की ओर से उनके मदद के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. इस सहायता के तहत पहली से पांचवीं तक के बच्चों को दो सेट ड्रेस, एक स्वेटर और जूता मोजा के लिए 600 रुपए दिए जाते हैं. वहीं छठी से आठवीं तक के बच्चों को ड्रेस के लिए 400 रुपए, स्वेटर के लिए 200 रुपए और जूता मोजा के लिए 160 रुपए दिए जाते हैं. ये राशि भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों की ओर से दी जाती है. जिसमें ड्रेस के लिए भारत सरकार द्वारा 600 रुपए दिए जाते हैं. वहीं छठी से आठवीं तक के बच्चों को जूता और मोजा के लिए 160 रुपए राज्य सरकार देती है. इसके अलावा सरकारी स्कूल में पहली से लेकर आठवीं तक के सभी छात्राओं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों की ड्रेस के लिए 60 फीसदी पैसे केंद्र सरकार और 40 फीसदी पैसे राज्य सरकार देती है. यह राशि समग्र शिक्षा अभियान के तहत दी जाती है. इसके अलावा जो भी ड्रेस पर खर्च आता है वो राज्य सरकार देती है.
13 लाख बच्चों को नहीं मिली अब तक राशि
मगर, जो आंकड़े हैं, उसके मुताबिक राज्य में कुल 38,29,076 लाख बच्चों को ड्रेस दिए जाने हैं. जिनमें से 24,49,980 बच्चों को ड्रेस के पैसे मिल गए हैं. लेकिन 13,79,096 बच्चों को ये पैसे अभी तक नही मिले हैं. नतीजा 13 लाख से ज्यादा बच्चों को ठंड में बिना स्वेटर और जूतों के स्कूल जाना पड़ रहा है.
बता दें कि झारखंड शिक्षा परियोजना ने अगस्त में ही ड्रेस और स्वेटर की राशि उपलब्ध करा दी थी. इसके साथ ही विभाग की ओर से बच्चों का बैंक खाता खुलवा कर राशि उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया था. विभाग की ओर से 15 नवंबर तक सभी जिलों को बच्चों को ड्रेस मुहैया कराने का निर्देश था. लेकिन अभी तक 13 लाख बच्चों को पैसे नही दिए गए हैं.
क्यों नहीं मिले बच्चों को पैसे?
विभाग की ओर से निर्देश के बाद भी अभी तक बच्चों को ड्रेस और स्वेटर के लिए पैसे नहीं मिलने के पीछे का कारण बच्चों के बैंक अकाउंट का ना होना है. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के सरकारी स्कूलों में 12वीं क्लास तक लगभग 50 लाख बच्चों का एडमिशन है. मगर, इनमें से 17 लाख बच्चों के पास बैंक अकाउंट अब तक नहीं है. इस कारण बच्चों को सरकारी राशि अभी तक नहीं मिल पाई है.
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