रांची(RANCHI): ओरमांझी प्रखंड के रोला गांव की रहने वाली एक ट्रक ड्राईवर की बेटी ने मिस आइकॉन ऑफ इंडिया का खिताब जीत कर पूरे राज्य का नाम रौशन किया है. कस्तूरबा बालिका विद्यालय से मैट्रिक और रांची विश्वविद्यालय के मासकॉम डिपार्टमेंट में प्रथम वर्ष की छात्रा सुषमा की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है, इनकी माता एक गृहणी है.
बचपन से था एकरिंग का शौक
बचपन के एकरिंग का शौक पालने वाली सुषमा बताती है कि जब ग्लैमर प्रोडक्शन हाउस, दिल्ली के द्वारा छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले मिस आइकॉन ऑफ इंडिया में भाग लेने के लिए फोन किया तो एकबारगी कानों पर विश्वास नहीं हुआ, लगा किसी ने यों ही मजाक किया है.
रांची के अरगोड़ से मिला किराये पर कपड़े
लेकिन जब उसके प्रतिनिधियों ने बतलाया कि उन लोगों के द्वारा उनकी एकरिंग देखी जाती है, वे लोग उसकी एकरिंग से काफी प्रभावित हैं, यही कारण है कि ग्लैमर प्रोडक्शन हाउस उन्हे मिस आइकॉन ऑफ इंडिया एवार्ड के लिए भेजना चाहती है, तब कुछ-कुछ विश्सवास हुआ, फिर इसकी तैयारी शुरु हुई, लेकिन मेरे पास तो प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ढंग के कपड़े भी नहीं थें, पहली प्राथमिकता प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कपड़े की व्यवस्था करनी थी, इस बीच किसी ने जानकारी दी कि रांची के अरगोड़ा में किराये कपड़ा मिलता है, तब कुछ हिम्मत मिली.
देश के अलग-अलग शहरों से लड़कियों ने लिया था भाग
सुषमा ने बताया कि जब पिताजी को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने किसी प्रकार 3500 रुपये का जुगाड़ किया, इसमें से दो हजार रुपये कपड़े के किराये में चले गये. इसके बाद शुरु हुई छत्तीसगढ़ की यात्रा, वहां पहुंची तो मैं एक दूसरी दुनियां में थी. पूरे देश के अलग-अलग शहरों से प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए एक से बढ़कर एक लड़किया वहां आयी थी. इन सबकी शिक्षा बड़े-बड़े स्कूलों और कॉलेजों से हुई थी. जबकि मैं एक गांव की पृष्ठभूमि की थी, मेरे कपड़े भी उनकी तुलना में कहीं टिक नहीं पा रहे थें. लेकिन हमने अपना विश्वास नहीं खोया, पूरी हिम्मत से प्रतियोगिता में भाग लिया. किस्मत ने साथ दिया और आखिरी तीस फिनाले में मेरा चयन हो गया.
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