सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को किया खारिज, कहा-किसी को 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहना गलत, लेकिन...

टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मुस्लिम को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना गलत है, हालांकि यह अपराध नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध के बराबर नहीं है.
शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति बीवी नागरना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. साथ ही, न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए अपीलकर्ता (आरोपी व्यक्ति) को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि आवेदक (अपीलकर्ता) पर सूचक को मियां और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है. निस्संदेह, यह कथन अनुचित है. लेकिन यह किसी भी तरह से सूचक की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बराबर नहीं है. न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के तहत आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, झारखंड के चास अनुमंडल कार्यालय के कार्यवाहक लिपिक और उर्दू अनुवादक ने एफआईआर दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया था कि जब वह एक आरटीआई आवेदन के संबंध में जानकारी मांगने गया तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देते हुए उसके साथ दुर्व्यवहार किया. जब मामला झारखंड हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए आरोपी को बरी करने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिस पर जस्टिस बीवी नागरना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की.
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