TNP DESK-राजस्थान में चुनाव प्रचार अपने आखिरी दौर में प्रवेश कर चुका है. कल चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है, 25 नवम्बर को मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों का किस्मत मतपेटियों में कैद हो जायेगा, किसके हिस्से क्या रही, किन -किन उम्मीदवारों पर मतदाताओं की कृपा दृष्टि की बरसात हुई, और किन्हे अगले पांच वर्षों तक जनता के बीच जाकर और भी खून पसीना बहाने का आशीर्वाद मिला, सब कुछ सामने होगा.
पीएम मोदी को क्यों आयी मल्लिकार्जुन खड़गे की याद
लेकिन इस आखिरी प्रचार के दौर में अचानक से पीएम मोदी को कांग्रेस अध्यक्ष मलिल्कार्जून खड़गे की याद आने लगी, अपने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर मल्लिकार्जुन खड़गे की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है, उनका आरोप है कि कांग्रेस मलिल्कार्जुन खड़गे को एक दलित होने के कारण अपने पोस्टरों में उचित स्थान नहीं दे रही है. दरअसल जानकारों का मानना है कि मलिल्कार्जुन खड़गे के बहाने पीएम मोदी राजस्थान के करीबन 17 फीसदी दलित मतदाताओं को साधने की जुगत बिठा रहे हैं, यहां याद रहे कि देश के दूसरे राज्यों के विपरीत राजस्थान में दलितों को भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में मल्लिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी के दलित मतदाताओं के बीच उनकी मांग अचानक से बढ़ चुकी है, आज वे दलित जातियों के बीच आकर्षण के केन्द्र बन चुके हैं.
दलितों मतदाताओं को टूटने का मंडराने लगा है खतरा
दावा किया जाता है कि खड़गे की इस बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा को अपने परंपरागत दलित मतदाताओं को टूटने का खतरा मंडराने लगा है, और यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी को अचानक से खड़गे की याद आने लगी है, वह कांग्रेस पर मल्लिकार्जुन खड़गे की उपेक्षा का आरोप लगाकर दलित मतदाताओं को अपने पाले में बनाये रखना चाहते हैं.
चन्द्रशेखर रावण की मौजूदगी कांग्रेस भाजपा दोनों के लिए बड़ा खतरा
लेकिन इस बार भाजपा दोहरी चुनौती की शिकार है, एक तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे हैं तो दूसरी तरफ बसपा प्रमुख मायावती के बाद दलितों का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने चन्द्रशेखर आजाद रावण की भी राजस्थान के दंगल में इंट्री हो चुकी है, यहां चन्द्रेशखर रावण जाट नेता हनुमान बेनीवाल के साथ मिलकर राजस्थान में अपना चुनावी दमखम दिखला रहे हैं, चन्द्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (काशीराम) और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के इस गठजोड़ से कांग्रेस भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के सामने संकट खड़ा होता दिख रहा है. माना जा रहा है कि इस बार सत्ता की चाभी इस गठबंधन के हाथ आ सकती है. जिस भी पार्टी को इनका समर्थन मिलेगा, उसकी सरकार में वापसी होगी. यही कारण है कि पीएम मोदी मलिल्कार्जुन खड़गे को एक मुद्दा बनाकर दलित मतदाताओं को अपने पाले में करने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों में वापसी करते दिखने लगे हैं अशोक गहलोत
दूसरी तरह चंद माह पहले तक जिस अशोक गहलोत की विदाई तय मानी जा रही थी, अब वही अशोक गहलोत लगातार अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए दिखलाई देने लगे हैं. दावा किया जा रहा है कि हर पांच साल में सरकार बदलने की जो रिवायत राजस्थान में रही है, इस बार वह रिवायत ही बदल सकती है. इस बार अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ कोई हवा बहती हुई दिखलायी नहीं दे रही.
प्रधानमंत्री मोदी को भी है इस खतरे का आभास
और यह संकट प्रधानमंत्री मोदी को भी दिखलाई देने लगा है, यही कारण है कि अब वह यह भविष्यवाणी करने लगे हैं कि राजस्थान में अब कभी भी अशोक गहलोत की सरकार नहीं आने वाली है. पीएम मोदी ने कहा कि “मैं मावजी महाराज की पवित्र धरती से यह बात बोल रहा हूं, भविष्यवाणी कर रहा हूं कि इस बार ही नहीं, राजस्थान में अब कभी भी अशोक गहलोत की सरकार नहीं आने वाली है. अब देखना होगा कि तीन दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी की यह भविष्यवाणी कितनी सत्य साबित होगी, क्योंकि जमीनी हालात तो कुछ दूसरी कहानी कहते हुए दिखलाई पड़ रहे हैं.
इसे भी पढ़ सकते हैं
4+