8वें वेतन आयोग के गठन के बाद फीलगुड में केंद्रीय कर्मचारी, वेतन को लेकर अभी से भाग गुना शुरू

टीएनपी डेस्क :केंद्र की मोदी सरकार ने आठवीं वेतन आयोग के गठन को जैसे ही मंज़ूरी दी केंद्रीय कर्मचारियों के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे. वेतन को लेकर लोगों ने अभी से भाग गुना करना शुरू कर दिया है. कई कर्मचारी संघ ने केंद्र के प्रति आभार जताया.
आठवीं वेतन आयोग के अनुशंसा जनवरी 2026 से लागू मानी जाएगी. मालूम हो कि वेतन आयोग का गठन प्रत्येक 10 साल में किया जाता है. इसका लाभ केंद्र सरकार के 60 लाख से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों को होगा. 67 लाख से अधिक पेंशन भोगियों को भी इसका लाभ मिलेगा. आयोग के गठन को मंजूरी मिलने के बाद इसका स्वरूप गठित किया जाएगा. विभिन्न कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर आयोग केंद्र सरकार के समक्ष अपनी अनुशंसा रखेगा. मालूम हो कि केंद्र सरकार के द्वारा आयोग की अनुशंसा के आधार पर जो वेतन और भत्ता स्वीकृत किया जाता है. कमोबेश उसी स्वरूप में राज्य की सरकारें अपने कर्मियों को इसका लाभ देती हैं.
अब जानिए पे कमीशन है क्या
पे कमीशन एक ऑफिशियल पैनल होता है जो सरकार सेटअप करती है और उनके द्वारा कुछ रिकमेंडेशन दिए जाते हैं. सिर्फ और सिर्फ सैलरी कितनी बढ़ेगी इसका रिकमेंडेशन नहीं होता है इसके अलावा बहुत सारी और भी चीज होती हैं. जैसे फिटमेंट फैक्टर कितना होगा, पेंशन क्या होगा, जो अलग-अलग अलाउंस होते हैं उनका क्या होगा, बहुत सारी चीज होती है जो देखना होता है और वह सारे रिकमेंडेशन सेंट्रल गवर्नमेंट को दिए जाते हैं. इसके बाद सेंट्रल गवर्नमेंट जब उसको अप्रूव करती है तो सरकारी कर्मचारियों की जो सैलरी है, पेंशन है वह यहां पर बढ़ जाती है.
अब तक टोटल 7 पे कमीशन सेटअप किए गए
इंडिपेंडेंस के बाद से भारत के इतिहास में अभी तक टोटल 7 पे कमीशन सेटअप किए गए थे. अक्सर यह होता है कि हर 10 साल में पे कमीशन सेटअप किया जाता है. जब लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे आता है तो उसकी वजह से लोगों की क्वालिटी आफ लाइफ और जो अर्निंग है वह बढ़ जाती है.
पे कमीशन का इकॉनमी पर क्या इंपैक्ट होता है
पे कमीशन का हमारे इकोनामिक के ऊपर भी इंपैक्ट होता है. क्योंकि पे कमीशन इंप्लीमेंट करना इतना आसान भी नहीं है. इसमें बहुत सारा खर्चा होता है. उदाहरण के तौर पर आप समझ सकते हैं कि जब 2016 में लास्ट पे कमीशन लाया गया था तब उसकी वजह से गवर्नमेंट की स्पेंडिंग 1 लाख करोड रुपए हर साल बढ़ गई थी और इसकी वजह से पब्लिक फाइनेंस के ऊपर भी काफी प्रेशर बढ़ जाता है. लेकिन इसका फायदा भी होता है. इसकी वजह से कंज्यूमर्स स्पेंडिंग बढ़ती है और जब ज्यादा कंज्यूमर्स स्पेंडिंग बढ़ती है डिस्पोजेबल इनकम आपके हाथ में ज्यादा आता है. इसकी वजह से गुड्स एंड सर्विसेज की डिमांड बढ़ती और फिर हमारी जीडीपी भी बढ़ जाती है.
जब पे कमीशन इंप्लीमेंट होता है तो उसकी वजह से हमारी जीडीपी पर भी अच्छा खासा असर आता है. जब 7th पे कमीशन 2016 में लाया गया था तो मिनिमम सैलरी 7000 से इंक्रीज करके 18000 कर दिया गया था और जो टॉप ऑफिशियल की सैलरी है वह ढाई लाख रुपए हर महीना कर दिया गया था. 2006 में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी उस समय सिक्स पे कमीशन लाया गया था. और 2016 में जब पीएम मोदी की सरकार थी तब सेवंथ पे कमीशन इंप्लीमेंट किया गया था. 2016 के सेवंथ पे कमिशन में कई बदलाव किया गया और मिनिमम सैलरी को 7000 से इंक्रीज करके 18000 किया गया था. बाक़ी चीज़ों को भी रिवाइज़्ड किया गया था.
8th पे कमीशन लागू होने पर न्यूनतम सैलरी क्या होगी
वहीं 8th पे कमीशन को लेकर ज्यादातर लोगों का कहना है कि इस बार ज्यादा चीजों को एनहान्स करने की कोशिश की जाएगी. सरकार ने अभी 8वें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन वृद्धि के प्रतिशत पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्मचारियों के वेतन में फिटमेंट फैक्टर 2.57 से 2.86 तक हो सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि सेंट्रल गवर्नमेंट के जो एम्प्लोयी होंगे उनकी सेलरी 186% इनक्रीज़ हो सकती है. यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 है, तो न्यूनतम वेतन 18 हज़ार से बढ़कर 51 हज़ार तक हो जाएगा. लेकिन जब तक कमीशन सेट अप नहीं हो जाता, कमीशन की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक कुछ भी क्रिस्टल क्लियर नहीं हो सकता है.
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