धनबाद(DHANBAD): धनबाद लोकसभा के चुनाव में सीधी टक्कर होगी या त्रिकोणीय संघर्ष होगा, इसका फैसला 22 अप्रैल को होगा. 22 अप्रैल को धनबाद में भारतीय जनतांत्रिक मोर्चा की बैठक होगी. इसी बैठक में साफ होगा कि विधायक सरयू राय धनबाद से चुनाव लड़ेंगे अथवा नहीं.
क्या सरयू राय धनबाद के मतदाताओं का भरोसा जीत पाएंगे
शुक्रवार को पार्टी कोर कमेटी की धनबाद में बैठक हुई .जिसमें इस पर मंथन किया गया. फिलहाल क्या चुनावी समीकरण है और आगे क्या होगा, इस पर भी चर्चा की गई. विचार विमर्श किया गया कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बाद धनबाद की स्थिति क्या बनी है. इस हालत में सरयू राय के चुनाव मैदान में उतरने पर क्या समीकरण बनेंगे. भारतीय जनतांत्रिक मोर्चा क्या कोई विकल्प बन पाएगा. इस बात पर भी चर्चा की गई कि भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार धनबाद लोकसभा क्षेत्र से नहीं आते हैं .दोनों गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में सरयू राय धनबाद के मतदाताओं का भरोसा कितना जीत पाएंगे, इस पर मंथन किया गया.
वैसे तो धनबाद में मासस ने भी अपना उम्मीदवार घोषित किया है. टाइगर जयराम महतो ने भी उम्मीदवार की घोषणा की है. भाजपा और कांग्रेस ने भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. ऐसे में सरयू राय के चुनाव में उतरने को लेकर मंथन चल रहा है. यह बात सच है कि भाजपा के उम्मीदवार भी गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से आते हैं. वह बाघमारा से विधायक हैं .कांग्रेस उम्मीदवार अनुपमा सिंह भी गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से आती हैं. वह बेरमो में रहती हैं. विधायक अनूप सिंह की पत्नी है. ऐसे में सरयू राय चुनाव में उतरकर क्या समीकरण बना पाएंगे, इस पर अभी मंथन चल रहा है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव में वह उम्मीदवार होंगे. फैसला 22 को होगा.
अगर सरयू राय ने उम्मीदवारी घोषित की तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा
कांग्रेस उम्मीदवार अनुपमा सिंह जमशेदपुर जाकर सरयू राय का आशीर्वाद ले चुकी हैं. अगर सरयू राय उम्मीदवार नहीं होते हैं तो धनबाद लोकसभा में सीधी टक्कर होगी. यह टक्कर भाजपा और कांग्रेस में हो सकती है और अगर सरयू राय ने उम्मीदवारी घोषित की तो यह मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा. वैसे 1991 से लेकर( सिर्फ 2004 को छोड़कर) धनबाद लोकसभा सीट से भाजपा जीतती रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह 4.86 लाख वोटो से जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के पैराशूट उम्मीदवार कीर्ति आजाद को पराजित किया था. इस बार कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को टिकट दिया है, जबकि भाजपा की ओर से बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो उम्मीदवार हैं .वैसे सरयू राय की सक्रियता पहले से ही धनबाद कोयलांचल में बनी हुई है. उन्होंने ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी की घोषणा होने के बाद कांग्रेस और झामुमो नेताओं से संपर्क कर समर्थन मांगा था. कहा था कि अगर समर्थन मिला तो वह चुनाव लड़ेंगे. लेकिन कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार दे दिया है. 1991 में रीता वर्मा यहां से चुनाव जीती थी. उसके बाद वह चार बार सांसद रही. फिर ददई दुबे के हाथों वह हार गई तो 2009 में पशुपतिनाथ सिंह को भाजपा ने टिकट दिया और पशुपति नाथ सिंह लगातार तीन बार धनबाद लोकसभा से सांसद चुने जाते रहे. खैर, जो भी हो लेकिन भाजपा उम्मीदवार और कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर विरोध के स्वर भी सुनाई देने लगे हैं.
कांग्रेस नेता ललन चौबे ने इस्तीफा देने की घोषणा की
अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता ललन चौबे ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा देने की घोषणा की है. भाजपा खेमे में भी कुछ लोग बिल्कुल मौन है. और यही मौन भाजपा खेमे को भी परेशान किए हुए हैं. यह अलग बात है कि सोशल मीडिया पर भाजपा के कुछ लोग कुछ पोस्ट कर देते हैं. लेकिन कुछ लोगों की चुप्पी भाजपा खेमे को परेशान किए हुए हैं. वैसे धनबाद लोकसभा क्षेत्र एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. एनडीए भी धनबाद को गारंटी वाली सीट मानकर चल रही है. वैसे विधायक ढुल्लू महतो को हर एक विरोध या कथन पर टिप्पणी करने से प्रदेश स्तरीय नेताओं द्वारा मना किया गया है. देखना है धनबाद जैसे महत्वपूर्ण सीट पर चुनाव का रंग क्या रहता है. परचम किसका लहराता है. वैसे धनबाद का चुनाव इस बार आरोप प्रत्यारोप के दौर से गुजरेगा. नेताओं की वाणी समय के साथ और तल्ख होती जाएगी. इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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