चाईबासा (CHAIBASA) : राज्य में छोटे भाई और बड़े भाई की गठबंधन वाली यूपीए की सरकार है. लेकिन जिस कदर गठबंधन दल के विधायकों को स्वीकृत योजनाओं का कार्य को चालू कराने के लिए उपायुक्त के समक्ष नतमस्तक होना पड़ रहा है. यह काफी गंभीर मामला है. यदि देखना हो तो पश्चिमी सिंहभूम जिले में आकर देखें. यहां के उपायुक्त को स्वीकृत योजना का कार्य शुरू करने के लिए बार-बार पत्र लिखना पड़ रहा है. लेकिन पदाधिकारी आंख कान दोनों बंद करके बैठे हैं. वहीं यह कयास लगाया जा रहा है कि झामुमो के विधायकों की योजना होती तो अब तक काम शुरु हो गया होता. लेकिन जब गठबंधन की सरकार है तो इस तरह का भेदभाव समझ से पड़े है. या अफसरसाही का बोलबाला है.
डीसी को नहीं रहती ग्रामीणों की चिंता
पश्चिमी सिंहभूम जिले में डीएमएफटी की योजनाओं में अफसरों की मनमानी से माननीय तक प्रभावित है. जगन्नाथपुर के विधायक जिस तरह अपने क्षेत्र के एक पुलिया के लिए डीसी को पत्र लिखे हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह माननीय अफसरों के सामने नतमस्तक है. वर्ष 2021 में सांसद गीता कोड़ा के अनुशंसा पर डीएमएफट फंड से नोवामुण्डी प्रखंड के कोटगढ़ पंचायत में कुमीरता राजा बांध नाला में पुलिया निर्माण की स्वीकृति दी गई थी. कार्यकारी एजेंसी लघु सिंचाई प्रमंडल चाईबासा के द्वारा टेंडर भी किया गया. संवेदक को कार्य आवंटित भी कर दिया गया लेकिन स्थल के अनुरूप प्राक्कलन नहीं होने के कारण उपायुक्त के ही निर्देश पर संशोधित प्राक्कलन बनाया गया. जिसकी तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता ग्रामीण विकास विशेष अंचल रांची के द्वार दिया गया है. पुनः कार्यपालक अभियंता के द्वारा संशोधित प्राक्कलन की स्वीकृति देने का प्रस्ताव भेजे एक वर्ष होने को है लेकिन स्वीकृति की करवाई संचिका में बंद है. संचिका की जांच होने से जिला प्रशासन के पदाधिकारियों की कार्य प्रणाली को उजागर करेगा. साथ ही अफसरशाही की पोल भी खोल कर रख देगा. ऐसा लगता है कि पुलिया निर्माण अफसरशाही का भेट चढ़ गया है. विधायक डीसी को उक्त पुलिया विभाग को भेजने का प्रस्ताव देकर अपने बेबसी को जाहिर कर दिया है. डीसी को ग्रामीणों की आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने से कोई लेना देना नहीं है.
रिपोर्ट : संतोष वर्मा, चाईबासा
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