गोड्डा(GODDA):पूरे देश सहित झारखण्ड में लोकसभा चुनाव के इस बार चौंकाने वाले नतीजे सामने आये .बाजेपी गठबंधन को जहां तीन सीटों का नुकसान हुआ तो इंडिया गठबंधन को तीन सीटों का फायदा संताल परगना में हुआ. वहीं संताल परगना के नतीजे बीजेपी के लिए नुकसानदायक रहा .तीन सीटों में एक ही सीट बीजेपी बचा पायी, बाकी दो सीट इंडिया गठबंधन को मिल गया. राजमहल सीट पर जेएमएम के विजय हांसदा, दुमका सीट से जेएमएम के नलिन सोरेन जीत गये, तो वहीं निशिकांत दुबे बीजेपी गोड्डा से लगातार चौथी बार सांसद चुने गए .गोड्डा सीट पर बात करें तो चुनाव पूर्व जो लहर दिख रही थी, उससे उलट नतीजे आये.लहर ये था कि निशिकांत के पुराने प्रतिद्वंदी प्रदीप यादव इस बार भारी नजर आ रहे हैं और इसी बहाने पहले से घोषित प्रत्याशी महागामा कांग्रेस विधायक दीपिका पाण्डेय से टिकट छीनकर प्रदीप यादव को दी गयी, लेकिन प्रदीप यादव अपने दावे पर खरे नहीं उतर सके. निशिकांत के हाथों उन्हें एक लाख से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा .यहां तक की 25 वर्षों से जिस विधानसभा पर विधायक रहे वहां भी निशिकांत दुबे ने 8 हजार से ज्यादा मतों से पछाड़ दिया.
निशिकांत के खिलाफ प्रदीप की ये लगातार चौथी हार है
यूं तो निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव की प्रतिद्वंदिता बहुत पुरानी है .जुबानी जंग हो या फिर राजनितिक दोनों किसी से कम नहीं हैं .एक दुसरे पर कड़े शब्द बाण का प्रयोग आम बात है.प्रदीप हर बार निशिकांत पर बाहरी होने का इल्जाम लगाकर मुद्दा और अपने को स्थानीय बेटा बताकर सेंटीमेंटल गेम खेलते हैं, लेकिन हर बार जनता निशिकांत को ही प्रदीप के खिलाफ जनमत सुना देती है और इसके पीछे मतदाताओं का ये भी तर्क कि प्रदीप यादव विधानसभा में बहुत अच्छे हैं लेकिन लोकसभा में नहीं .इसी वजह से पिछले चार टर्म (2009 ,2014,2019 ,2024 ) से प्रदीप को जनता जनार्दन ने सांसद के रूप में नकार दिया .
दीपिका से टिकट छिनना भी शायद पड़ गया मंहगा प्रदीप को
इंडिया गठबंधन ने सबसे पहले महागामा से कांग्रेस की महिला विधायक दीपिका पाण्डेय सिंह को टिकट दिया था .जिसका की प्रदीप यादव और उनके समर्थकों ने जमकर हल्ला हंगामा करते हुए विरोध जताया था .विरोध इतना जबरदस्त था कि संताल परगना दौरे पर आये राहुल गांधी द्वारा दीपिका से छिनकर प्रदीप यादव को टिकट दिया गया .पुरानी और कांग्रेस पार्टी में अपना दम रखने वाली महिला कांग्रेसी नेता दीपिका ने इसे आला कमान का आदेश मानकर जरा भी विरोध नही किया,लेकिन दीपिका के चाहने वाली जनता ने अंदर खाने इसका विरोध वोट के रूप में कर दिया .हालांकि दीपिका ने महागामा विधानसभा में पार्टी को बढ़त दिला जरुर दी, अब चाहे वो 121 मतों का ही क्यों न हो .
विधानसभा वार एक नजर डालते हैं गोड्डा लोकसभा के आंकड़े पर
गोड्डा लोकसभा सीट के अन्दर 6 विधानसभा आते हैं ,जिसमे जरमुंडी ,मधुपुर,देवघर,पोडैयाहाट ,गोड्डा और महागामा .जरमुंडी में निशिकांत दुबे को 107082 तो प्रदीप यादव को 62684 वोट मिले, मतलब 44398 वोट से यहां प्रदीप यादव पिछड़े. मधुपुर विधानसभा जिसपर प्रदीप यादव को बहुत ज्यादा भरोसा था वहां भी कुछ खास बढ़त नहीं बना सके.मधुपुर में निशिकांत को 119956 तो प्रदीप को 128833 वोट मिला ,मतलब 8877 वोटों की बढ़त मिली.देवघर मेंहर बार की तरह निशिकांत दुबे को विशाल मत तो नही मिला, लेकिन फिर भी 41 हजार से अधिक मतों से आगे रहे .देवघर में निशिकांत को 153449 तो प्रदीप को 111711 वोट मिला. यहां भी प्रदीप 41738 मतों से पिछड़े .पोडैयाहाट विधानसभा जहां पिछले पांच बार से प्रदीप यादव विधायक हैं, वहां भी वो निशिकांत से पिछड़ गए ,यहां निशिकांत को 101676 तो प्रदीप को 93136 वोट मिले ,यहां 8540 से प्रदीप पिछड़ गये .गोड्डा विधानसभा में निशिकांत को 107698 तो प्रदीप को 90601 वोट मिले और यहां 17097 वोट से पिछड़ गए .महागामा की बात करें तो निशिकांत दुबे को यहां 99018 तो प्रदीप को 99139 वोट मिले यहां प्रदीप ने महज 121 वोट से बढ़त बनायी.
दोनों के जुबानी जंग पर जनता ने लगाया विराम
बहरहाल दोनों ही नेताओं की जुबानी जंग पर जनता जनार्धन ने विराम इस बार लगाने का काम किया है .निशिकांत दुबे ने भी 9 लाख से अधिक मतों से जीतने का दावा किया था तो प्रदीप यादव ने भी दावा किया था कि इस बार नहीं जीते तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा .अब देखना दिलचस्प होता है कि निशिकांत दुबे गोड्डा की जनता से संवाद बनाकर अगले 5 वर्षों तक रहते हैं या नहीं और प्रदीप यादव राजनीति से संन्यास लेते हैं या नहीं.
रिपोर्ट- अजीत और रितुराज सिन्हा
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