रांची (TNP Desk) : प्रकृति पर्व सरहुल आज है. यह झारखंड का प्रमुख त्योहार है. आज के दिन आदिवासी समाज के लोग सरहुल का त्योहार मनाते हैं. चैत तृतीया में मनाए जाने वाले प्राकृतिक पूजा सरहुल महोत्सव आदिवासी सामाजिक संगठन बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. जिसकी तैयारी विभिन्न संगठनों के द्वारा पूरी कर ली गई है. पूरे राज्य में सरहुल पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है. चार दिन के इस पर्व में उपवास, जल रखाई के साथा वर्षा की भविष्यवाणी की जाती है. आज विभिन्न आदिवासी संगठन के लोग राज्यभर में दोपहर को सरहुल पूजा के बाद भव्य शोभायात्रा निकालेंगे.
जानिए केकड़ा और मछली पकड़ने की रस्म
आज सुबह केकड़ा और मछली पकड़ने की रस्म निभाई गयी. इसके बाद रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में सरना स्थल पर पूजा-पाठ किया जा रहा है. केकड़ा और मछली पकड़ने की रस्म का पौराणिक कथा है. कहा जाता है कि महाप्रलय के समय धर्मेश और सरना मां ने दो लोगों को केकड़ा के बिल में छुपाया था, ताकि सृष्टि दोबारा शुरू हो सके. उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है. वहीं चार दिनों तक चलने वाले सरहुल के पहले दिन मछली को पकड़ा जाता है, और उसका अभिषेक किया जाता है. अभिषेक किए हुए जल को घर में छिड़का जाता है. उसके दूसरे दिन उपवास रखा जाता है. तीसरे दिन गांव के पाहन सरना स्थल पर सरई के फूलों से पूजा करते हैं और इसी दिन उपवास पर रहते हैं. वहीं पाहन के द्वारा मुर्गे की बलि दी जाती है. चौथे दिन सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है. इसके बाद भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है. जिसमें पांरपरिक पोशाक पहन आदिवासी समाज नृत्य करते हैं.
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