रांची(RANCHI): क्या कोई व्यक्ति जन्म से दस साल पहले से नौकरी में हो सकता है. यह जानकार आपको हैरानी होगी. सोचेंगे कि आखिर जन्म से पहले नौकरी कैसे लग गई. लेकिन यह झारखंड है और यहां हकीकत में ऐसा हुआ है. युवक का जन्म 1993 में हुआ लेकिन उसकी नौकरी झारखंड गृह रक्षा वाहिनी में 1984 में ही लग गई थी. इसका खुलासा अब हुआ है. आसिफ को पुलिस ने हिरासत में लिया और पूछताछ में खुलासा हुआ कि पैसे दे कर सीधे नौकरी दी गई थी.
लापता जवान का बैच नंबर आसिफ अंसारी के पास
आसिफ से पूछताछ और विभागीय जांच में जानकारी मिली कि, आसिफ अंसारी का बैच नंबर 15181 है. यह बैच नंबर एक लापता जवान का है. अब इसके जन्म तिथि और आसिफ के जन्म तिथि को देखे तो दोनों में करीब दस साल का अंतर है. आसिफ का जन्म 1993 में हुआ जबकि उसको नौकरी 1983 में ही दे दी गई. इससे साफ है कि किस तरह का खेल पूरे नौकरी की प्रक्रिया में खेला गया है. अब कड़ी दर कड़ी जांच आगे बढ़ेगी तो अभी कई खुलासे होने बाकी हैं.
5 लोगों पर धुर्वा थाने में FIR दर्ज
इस मामले में आसिफ को पुलिस ने जेल भेज दिया है. साथ ही अन्य आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. कई फरार आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. दरअसल, आसिफ को फर्जी तरीके से लापता होमगार्ड जवान के रूप में गृह रक्षा वाहिनी के पदाधिकारी और कर्मियों की मदद से नियुक्त किया गया था. इसे लेकर जब विभागीय जांच की गई तो अब जाकर मामले का खुलासा हुआ है. मामले में 5 लोगों पर धुर्वा थाने में FIR दर्ज किया गया है. जिसमें फर्जी तरीके से होमगार्ड में हुए बहाल जयदेव टोप्पो, आरिफ अंसारी, निसार अहमद तो वहीं होमगार्ड के डिप्टी कमांडेंट कैलाश यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
आसिफ अंसारी के पिता जाकिर अंसारी भी होमगार्ड जवान
अभी ये कहानी यही खत्म नहीं हुई है. क्योंकि, इस मामले में अभी एक और ट्विस्ट बाकी है. दरअसल, फर्जी तरीके से बहाल हुए आसिफ अंसारी के पिता जाकिर अंसारी भी होमगार्ड जवान के रूप में कार्यरत हैं. लेकिन उन्हे अपने बेटे के बाद नौकरी मिली है. इस फर्जी बहाली की भनक होमगार्ड जवानों को लोकसभा चुनाव के वक्त मिली. जिसके बाद मामला वरीय अधिकारियों के संज्ञान में दिया गया और फिर इस मामले का खुलासा हुआ.
रिपोर्ट-समीर हुसैन
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