Ranchi- जिस सीएम हेमंत को लेकर झारखंड के सियासी गलियारों में बवाल काटा जा रहा था, इस बात का दावा किया जा रहा था कि वह कहां से, किस हालत में इसकी खबर राज्य प्रशासन के साथ ही उनकी पार्टी को भी नहीं है, भाजपा की ओर से हर घंटे इसके लेकर एक नया सियासी बवाल काटा जा रहा था, कभी बाबूलाल के द्वारा सीएम हेमंत की खबर देने वालों को 11 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की जा रही थी, तो कभी भाजपा युवा मोर्चा के द्वारा राजधानी रांची स्थित अरगोड़ा थाने में उनकी खोज के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा रही थी, लेकिन इस वक्त की बड़ी खबर यह है कि सीएम हेमंत अपने मुख्यमंत्री आवास में पूरी नींद ले रहे थें, और उनको लेकर सारे सियासी बवाल महज कागजी थें.
झारखंड की सियासत में जारी था हाई वोल्टेज ड्रामा
झारखंड की सियासत में पिछले दो दिनों से हाई वोल्टेज ड्रामा जारी है, एक तरफ राज्यपाल से अपनी मीटिंग को बीच में छोड़कर सीएम हेमंत अचानक से अपने चार्टेड विमान से दिल्ली की ओर कूच करते हैं, और ठीक इसके दूसरे ही दिन ईडी उनके दिल्ली स्थित आवास पर अपनी दस्तक देती है. और फिर उसके बाद अचानक से उनके अंदर ग्राउंड होने की खबर चलने लगती है. भाजपा की ओर से सीएम हेमंत को लेकर गुमशुदगी के दावे किये जाने लगते हैं, राज्यवासियों के बीच पसरती इस बेचैनी को लेकर भाजपा प्रवक्ताओं के द्वारा मोर्चा खोल दिया जाता है, झामुमो से सीएम हेमंत कहां का सवाल पूछा जा रहा है.
सीएम हेमंत की कथित गुमशुदगी को सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी में भाजपा
झामुमो के इस नकार के बीच बाबूलाल और निशिकांत दुबे लगातार मोर्चा खोले रहते हैं, सीएम हेमंत की गुमशुदगी का दावा को पुख्ता करने की नियत से उनके द्वारा उनकी खबर देने वालों को 11 हजार रुपये का इनाम की घोषणा भी की जाती है, लेकिन अब जो खबर आ रही है, उसके अनुसार भाजपा ने इस मामले में अरगोड़ा थाने में बाजप्ते एक प्राथमिकी दर्ज करवाया है. हालांकि इस बीच झामुमो की ओर से सीएम हेमंत के अंदरग्राउंड होने की तमाम खबरों का खंडन किया जा रहा है. सुप्रियो ने बेहद तंज भरे शब्दों में कहा कि एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत सूत्रों की शक्ल में खबरों को परोस कर भाजपा के एजेंडा को बढ़ाया जा रहा है. सुप्रियो के इस बयान के बाद माना गया कि सीएम हेमंत कहां, किस हालत में हैं, झामुमो को इसकी पूरी खबर हैं, खुद सुप्रियो ने भी इस बात का दावा किया कि सीएम हेमंत अपने रुटीन कार्य से राज्य से बाहर गयें हैं.
भाजपा से सीएम हेमंत की सुरक्षित वापसी की मांग
लेकिन इस बीच जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी भाजपा से सीएम हेमंत की सुरक्षित वापसी की मांग कर सुप्रियो के दावे को पलटते नजर आ रहे हैं. जामताड़ा विधायक इरफान ने भाजपा से सीएम हेमंत की सुरक्षित वापसी की मांग करते हुए इस बात का दावा किया है कि एक आदिवासी होने के कारण मात्र से इस राज्य के मुखिया को अपमानित करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन भाजपा यह भूल रही है कि वह हेमंत सोरेन है, जिसके रगों में किसी के आगे झूकना मंजूर नहीं है. हालांकि जब इरफान अंसारी से बैठक के मुद्दों को लेकर सवाल दागा गया तो उन्होने कहा कि बैठक के मुददे क्या है, अभी उनके पास इसकी कोई जानकारी नहीं है, बैठक की समाप्ति के बाद ही वह कुछ बोलने की स्थिति में होंगे, लेकिन उनके चेहरे पर सीएम हेमंत को लेकर एक बेचैनी जरुर पसरी नजर आ रही थी.
पिछले 48 घंटों से मीडिया से दूर क्यों हैं हेमंत
यहां याद रहे कि राजधानी की सड़कों पर आज अजीब का सन्नाट है, हर कोने से एक ही सवाल है,सीएम हेमंत कहां हैं, किस हालात में हैं, और उनकी गुमशुदगी की वजह क्या है, क्या इसके पीछे कोई सियासी साजिश है,या फिर बिहार की तर्ज पर झारखंड की सरजमीन पर किसी सियासी दुरभिसंधि की पटकथा तैयार की जा रही है, आखिर एक राज्य का मुखिया पिछले 48 घंटों से मीडिया से दूर क्यों है, और यदि मीडिया से दूर भी हैं तो क्या उसके पीछे कोई सियासी वजह है. ऐसे न जाने कितने सवाल आज एक साथ राजधानी रांची की तनावभरी सड़कों पर लोगों के जेहन में उठ रहे हैं, और शख्स अपने अपने तरीके से इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा है.
झामुमो समर्थकों में बढ़ती बेचैनी
उधर सीएम हेमंत की गुमशुदगी की खबरों के कारण झामुमो समर्थकों की बेचैनी बढ़ती जा रही है, पूरे झारखंड से उनके समर्थकों को काफिला राजधानी की ओर कूच करता नजर आ रहा है, हजारों समर्थकों का झूंड राजधानी की सड़कों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कर अपने अंदर के छूपे गुस्से का इजहार कर रही है, तो दूसरी ओर महागठबंधन के अंदर भी उहापोह के साथ एक बेचैनी पसरती नजर रही है, खबर यह है कि आज कांग्रेस अपने विधायकों की बैठक कर रही है, दो इसके बाद महागठबंधन के सभी विधायक एक साथ बापू वाटिका की समाधि पर जाने की तैयारी में है. दावा किया जा रहा है कि बापू वाटिका से महागठबंधन के सभी विधायक केन्द्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरेंगे, उनका दावा है कि जैसे जैसे 2024 का संग्राम नजदीक आता रहा है, भाजपा के अंदर बेचैनी बढ़ती जा रही है, जिस रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को वह एक सियासी हथियार के रुप में इस्तेमाल कर 2024 का जंग फतह करना चाहती थी, महज एक सप्ताह के अंदर भी वह हथियार भोथरा साबित हुआ. लोग बाग भक्ति की भावना से उबर अपनी जिंदगी की त्रासदी और मुश्किलों पर चर्चा शुरु कर चुके हैं, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का सवाल राम भक्ति पर भारी पड़ता दिख रहा है.
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