Ranchi- सीएम हेमंत कहां हैं, किस हालात में हैं, और उनकी गुमशुदगी की वजह क्या है, क्या इसके पीछे कोई सियासी साजिश है,या फिर बिहार की तर्ज पर झारखंड की सरजमीन पर किसी सियासी दुरभिसंधि की पटकथा तैयार की जा रही है, आखिर एक राज्य का मुखिया पिछले 48 घंटों से मीडिया से दूर क्यों है, और यदि मीडिया से दूर भी हैं तो क्या उसके पीछे कोई सियासी वजह है. ऐसे न जाने कितने सवाल आज एक साथ राजधानी रांची की तनावभरी सड़कों पर लोगों के जेहन में उठ रहे हैं, और शख्स अपने अपने तरीके से इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा है.
झामुमो समर्थकों में बढ़ती बेचैनी
उधर सीएम हेमंत की गुमशुदगी की खबरों के कारण झामुमो समर्थकों की बेचैनी बढ़ती जा रही है, पूरे झारखंड से उनके समर्थकों को काफिला राजधानी की ओर कूच करता नजर आ रहा है, हजारों समर्थकों का झुंड राजधानी की सड़कों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कर अपने अंदर के छूपे गुस्से का इजहार कर रही है, तो दूसरी ओर महागठबंधन के अंदर भी उहापोह के साथ एक बेचैनी पसरती नजर रही है, खबर यह है कि आज कांग्रेस अपने विधायकों की बैठक कर रही है, दो इसके बाद महागठबंधन के सभी विधायक एक साथ बापू वाटिका की समाधि पर जाने की तैयारी में है. दावा किया जा रहा है कि बापू वाटिका से महागठबंधन के सभी विधायक केन्द्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरेंगे, उनका दावा है कि जैसे जैसे 2024 का संग्राम नजदीक आता रहा है, भाजपा के अंदर बेचैनी बढ़ती जा रही है, जिस रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को वह एक सियासी हथियार के रुप में इस्तेमाल कर 2024 का जंग फतह करना चाहती थी, महज एक सप्ताह के अंदर भी वह हथियार भोथरा साबित हुआ. लोग बाग भक्ति की भावना से उबर अपनी जिंदगी की त्रासदी और मुश्किलों पर चर्चा शुरु कर चुके हैं, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का सवाल राम भक्ति पर भारी पड़ता दिख रहा है.
ईडी की बढ़ती छापामारी भाजपा की आंतरिक बेचैनी की वजह
और यही भाजपा की आंतरिक बेचैनी है, और इसी आंतरिक बेचैनी से मुक्ति की तलाश में उस नीतीश कुमार को अंगीकार करने को विवश होना पड़ा रहा है, जिनके कोक शास्त्रीय ज्ञान पर उसके विधायक निवेदिता सिंह को विधान सभा के बाहर भोकार पार-पार कर रोना पड़ा था, जिस नीतीश को सत्ताच्यूत करने के लिए उसके प्रदेश अध्यक्ष मुरेठा बांध कर पूरे राज्य का दौरा कर रहे थें, जिस नीतीश के लिए केन्द्रीय मंत्री अमित शाह भाजपा की खिड़की और दरवाजे सभी बंद बता रहें थें, लेकिन यह आंतरिक बेचैनी इतनी बड़ी थी कि उन्हें लगा कि शायद नीतीश का साथ मिलते ही इस बेचैनी का इलाज मिल जाये, लेकिन बात उसके बाद भी नहीं बनी, चुनौतियां हर दिन गंभीर रुप धारण करती जा रही है, और यही कारण है कि सारे देश में एक साथ सभी विपक्षी नेताओं पर मोर्चा खोल दिया गया है, वह हेमंत हो या तेजस्वी, केजरीवाल हों या ममता बनर्जी आज विपक्ष का हर सियासतदान ईडी और सीबीआई के निशाने पर हैं.
हेमंत की गुमशुदगी पर हमलावर भाजपा
लेकिन इसके उलट भाजपा सीएम हेमंत की कथित गुमशुदगी को लेकर बेहद हमलावर है, उसके नेताओं और प्रवक्ताओं के द्वारा झामुमो नेताओं से सीएम हेमंत के बारे में सवाल दागे जा रहे हैं, सीएम हेमंत की गैरमौजदूगी को संवैधानिक संकट बताया जा रहा है. इस बात का दावा किया जा रहा है कि यदि राज्य का मुखिया ही राज्य से गायब है तो राज्य का कार्यकाज कौन देख रहा है, आज राज्य का मुखिया कौन है? उधर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल इस बात का दावा कर रहे हैं कि जो भी राज्य के मुखिया की बारे में कोई जानकारी उपलब्ध करवायेगा, उसे 11 हजार रुपये का इनाम दिया जायेगा, इसके साथ ही तरह तरह के और भी दावे हैं, साफ है कि ये सारे दावे बेहद तंज की भाषा हैं.
चांद पर फतह और कहां है हेमंत का सवाल
इधर रांची की सड़कों पर झामुमो समर्थकों का सवाल है कि भाजपा किस मुंह से हमसे सीएम हेमंत कहां का सवाल पूछ रही है, आज पूरी केन्द्रीय एजेंसियां भाजपा की मुठ्ठी में है, सीबीआई से लेकर आईबी उसके पास है, फिर वह यह सवाल झामुमो से क्यों पूछ रही है. भाजपा चांद पर फतह करने का दावा करती है, लेकिन एक राज्य का मुख्यमंत्री कहां है, लेकिन एक राज्य का मुखिया कहां है, इसका जवाब उसके पास नहीं है, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल जानकारी देने वालों को 11 हजार का इनाम देने की घोषणा कर रहे हैं, इसका मतलब तो साफ है कि भाजपा को अपने ही केन्द्रीय एंजेसियों की कार्यक्षमता पर विश्वास नहीं है. आखिर ईडी जितनी सक्रिय है, उसकी आईबी उतनी ही सुस्त साबित क्यों हो रही है, बाबूलाल को तो यह सवाल आईबी से पूछना चाहिए था कि एक राज्य के मुखिया कहां है.
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