धनबाद (DHANBAD) : केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद कई राज्यों ने अपना वैट घटा दिया है, लेकिन झारखंड सरकार अभी असमंजस में है. अभी तक सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. आप की जानकारी के लिए बता दें कि झारखंड में पेट्रोल पर 22% वैट या ₹17 प्रति लीटर दोनों में जो अधिक हो और डीजल पर 22% वैट या ₹12 रुपया 50 पैसे प्रति लीटर दोनों में से जो अधिक हो, टैक्स लगता है. इसके अलावा दोनों पर अतिरिक्त एक रुपए का सेस भी है.
झारखण्ड में लगातार गिर रहा है बिक्री का ग्राफ
इधर झारखण्ड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने प्रेसवार्ता कर मीडिया को बताया कि अगर झारखण्ड सरकार वैट में पांच प्रतिशत की कमी करती है तो महंगाई से परेशान जनता को तो तत्काल राहत मिलेगी ही, साथ ही साथ सरकार के भी राजस्व में प्रति माह अतिरिक्त 45 से 50 करोड़ की राजस्व वृद्धि होगी. इसका सीधा आंकड़ा भी उन्होंने मीडिया को बताया और कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, विभागीय मंत्री या उनके अधिकारी, आयल कंपनियों के अधिकारी और जेपीडीए एसोसिएशन के साथ बैठक कर इस पूरे गणित को समझ सकते हैं. उनका दावा है कि पिछले साल की तुलना में (जबकि कोरोना था) इस साल झारखण्ड में डीजल की बिक्री में 20 प्रतिशत की कमी आई है. बिक्री का ग्राफ लगातार प्रतिदिन गिर रहा है. मतलब साफ है कि सरकार के राजस्व में लगातार कमी हो रही है. बड़े खरीदार बगल के पड़ोसी राज्यों से खरीदारी कर रहे हैं, सरकार के पास भी इसके आंकड़े हैं, फिर सरकार उस आंकड़े को एक नजऱ देखती क्यों नहीं है. ये समझ से परे है.
पेट्रोल डीजल को सरकार राजनीति से दूर रखे
यू पी ए की सरकार में जहां डीजल पर एक्साइज ड्यूटी तीन रुपए साठ पैसे थी, वहीं एनडीए शासन में ये बढ़कर 35 रुपए कर दी गई. उस वक्त पेट्रोल पर 9 रुपए 60 पैसे बिक्री कर था. उसे बढ़ा कर 35 रुपए कर दिया गया. यह सही है कि केंद्र सरकार ने मामूली कमी की है, बावजूद यह अच्छी पहल है. अब राज्य सरकारो को भी प्रदेश की जनता को राहत देनी चाहिए.
बड़े खरीदार बाहर से करते हैं खरीदारी
पहले से ही झारखंड में विशेषकर डीजल महंगा होने के कारण कोयलांचल सहित पूरे राज्य के बड़े खरीदार बिहार, यूपी या पश्चिम बंगाल और ओडिशा से डीजल मंगाते रहे हैं. उन्हें झारखंड की तुलना में बाहर से मंगाने में कम खर्च लगता है. झारखंड सरकार भी जानती है, बावजूद इसके ना पहले वैट कम करने का कोई निर्णय लिया और ना अब तक कोई घोषणा की गईं है. केंद्र सरकार के द्वारा पेट्रोल पर पांच रुपए और डीजल पर दस रुपए वैट कटौती के बाद ही बिहार सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार ने वैट कम कर दिया है. लेकिन पिछली रोटी खाए झारखंड सरकार ने ना ही पहले कोई निर्णय लिया और ना ही अभी तक कोई स्पष्ट आदेश पारित किया है. वर्तमान में झारखंड में पेट्रोल-डीजल पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार और ओडिशा की तुलना में दो रुपए से लेकर पांच रुपए महंगी हो गई है. ऐसे में यूपी, बिहार, बंगाल और ओडिशा से आने वाली मालवाहक गाड़ियां झारखंड के बॉर्डर में घुसने से पहले ही उन प्रदेशों में डीज़ल भरवा लेती है. नतीजा झारखंड में पहले से मंदी की मार झेल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के सभी पेट्रोल पंप मरणासन्न की स्थिति में पहुंच गए हैं. वहीं डीज़ल की कीमत अधिक होने के कारण सामानों की ढुलाई खर्च भी बढ़ गई है. ऐसे में खाद्य पदार्थों की कीमत भी तेज़ी से बढ़ रही है. हेमंत सरकार की अदूरदर्शिता के कारण सूबे की आम जनता को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. जबकि दर घटाने के बाद भी तेल बिक्री की मात्रा बढ़ने से सालाना झारखंड को करीब 650 करोड़ का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है. यानि मोदी के मास्टर स्ट्रोक खेलने के बाद हेमंत सरकार पहले स्ट्राइक लेने से चूक गई है.
रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह, ब्यूरो हेड (धनबाद)
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