Jharkhand Election 2024 : महज कुछ घंटो का इंतजार, फिर हो जाएगा आर या पार...सत्ता बनाए रखेंगे हेमंत या NDA पलटेगा बाजी

रांची (RANCHI) : झारखंड चुनाव के नतीजों का महज कुछ घंटो का इंतजार रह गया है. झारखंड की सत्ता किसके हाथों होगी इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी. ये कहना गलत नहीं होगा कि आज की रात प्रत्याशियों के लिए कयामत की रात होगी. देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत दोबारा सत्ता में काबिज होते हैं या फिर एनडीए बाजी पलटता है. झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती शनिवार सुबह 8 बजे से शुरू होगी. पहला नतीजा सुबह 11 बजे के आसपास आने की उम्मीद है. दोपहर 2-3 बजे तक झारखंड की तस्वीर साफ हो जाएगी और पता चल जाएगा कि सरकार किसकी बनेगी. एनडीए या इंडी गठबंधन की. इसके साथ ही एग्जिट पोल एजेंसियों के दावों की सच्चाई भी सामने आ जाएगी.
इस चुनाव में सर्वे एजेंसियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल धराशायी हो गए. कांग्रेस का बहुमत का दावा भी ध्वस्त हो गया और एग्जिट पोल के आंकड़ों को झुठलाते हुए बीजेपी ने हरियाणा में हैट्रिक बना ली. झारखंड विधानसभा चुनाव में कुछ सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए पर दांव लगाया है तो कुछ सर्वे एजेंसियों ने इंडी गठबंधन पर.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल को मिली थी जबर्दस्त पटखनी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल को जबर्दस्त पटखनी मिली थी. इसके बाद ऐसे सर्वे पर सवाल भी उठ खड़े हुए. एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में झारखंड में इंडी गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है. वहीं मैट्रिज के एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है. चाणक्य के एग्जिट पोल में भी एनडीए की सरकार बनती दिख रही है. वहीं एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में झारखंड में इंडी गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है. टाइम्स नाउ के एग्जिट पोल में एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान लगाया जा रहा है. अब महज कुछ घंटों का ही फासला बचा है, जिसके बाद तस्वीर साफ हो जाएगी कि एग्जिट पोल पर भरोसा कायम रख पाता है या नहीं.
गलत सैंपलिंग के कारण एग्जिट पोल फेल
एग्जिट पोल से जुड़े कई विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से पहले भविष्यवाणी करने की इस पद्धति को पूरी तरह से फेल नहीं घोषित किया जा सकता. उनका मानना है कि सटीक नतीजे सर्वे में सवालों के चयन, सैंपल साइज और सैंपल लेने के तरीके पर निर्भर करते हैं. अगर किसी भी स्तर पर कोई खामी होगी तो एग्जिट पोल के नतीजे चुनाव नतीजों से अलग होंगे. ज्यादातर मामलों में सैंपल लेने में दिक्कत होती है. उदाहरण के लिए अगर सर्वे एजेंसी ने तय कर लिया है कि वह रैंडम पद्धति से ही वोटरों का चयन करेगी तो इसका सख्ती से पालन करना होगा. अगर सर्वे एग्जीक्यूटिव जल्दबाजी में रैंडम पद्धति को नजरअंदाज कर देता है तो एग्जिट पोल का फेल होना तय है.
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