टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भूतपूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई और भारतीय खुफिया एजेंसी को लेकर कई कहानियां सुनाई जाती रही है. यह माना जाता रहा है कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई को भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की गतिविधियां पसंद नहीं थी. उनका मानना था कि रॉ का गठन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं पर नियंत्रण रखने के लिए किया गया था. यह कहानी इस आधार पर भी प्रचारित की जाती है कि 1977 में जब मोरारजी भाई की सरकार बनी तो रॉ के फंड में 30 फीसदी की कटौती कर दी गयी, कई बार मोरारजी भाई का नाम किसी विदेशी खुफिया एजेंसी के साथ भी जोड़ा गया.
सिद्धार्थ मल्होत्रा-स्टारर मिशन मजनू
इसी कहानी के इर्द गिर्द घुमती है, शुक्रवार को नेटफ्लिक्स पर रिलीज फिल्म मिशन मजनू. इस फिल्म में मुख्य भूमिका में सिद्धार्थ मल्होत्रा, वैसे यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा करती है. 1974 में सफल परमाणु परीक्षण और भारत पाकिस्तान के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों की कई कहानियां इस फिल्म में समेटी गयी है. कुछ हद तक भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की भी कहानी है.
हालांकि यह फिल्म तत्कालीन प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई और जिया-उल हक के बीच करीबी संबंधों के बारे में प्रचलित अफवाहों पर सीधी बात नहीं करता. अफवाहों का दावा है कि देसाई ने जिया-उल हक को भारत के द्वारा बम बनाने जानकारी दी थी, हालांकि यह महज अफवाह ही है, इसकी कभी भी पुष्टि नहीं हुई.
अविजीत दत्त ने निभाई मोरारजी भाई की भूमिका
फिल्म में मोरारजी भाई की भूमिका अविजीत दत्त ने निभाई है और वह जिया के साथ फोन पर बातचीत करते हुए दिखाई दे रहे हैं. योग के टिप्स दे रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पर कोई बात नहीं की जा रही है. बी. रमन ने अपनी पुस्तक काओबॉयज ऑफ रॉ में दावा किया है कि बातचीत इसी तरह से बढ़ती थी, बाद में देसाई अक्सर कई रहस्यों को प्रकट कर देते थें.
चापलूसी की कला में उस्ताद थें जिया-उल-हक
दावा है कि जिया-उल-हक चापलूसी की कला में उस्ताद थें. वह अक्सर मोराराजी भाई को देशी दवा और मूत्र चिकित्सा पर परामर्श के लिए फोन करते थें, उनके सवाल अजीबोगरीब होते थें, मसलन 'महामहिम, एक दिन में कितनी बार मूत्र पीना चाहिए? क्या सुबह का पेशाब पीनी चाहिए या दोपहर का. इसका डोज क्या होगा.
खतरे से बेपरवाह नहीं थें मोराराजी देशाई
लेकिन ऐसा भी नहीं था कि मोरारजी भाई इस बात से बेखर थें, काओबॉयज ऑफ रॉ पुस्तक में दिये गये ब्योरे का माने तो मोरारजी ने उन्हें बताया था पाकिस्तान गुप्त रूप से एक सैन्य परमाणु क्षमता विकसित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि बाद में मोराराजी देशाई को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, निशान-ए-पाकिस्तान भी दिया गया. यह दोनों देशों की बीच यह दोनों देशों के बीच शांति और संबंधों में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता" के लिए प्रदान किया गया था.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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