रांची(RANCHI): अवैध खनन मामले में सूबे के दो बड़े अधिकारियों के खिलाफ ED जल्द कार्रवाई कर सकती है. मिली जानकारी के अनुसार CMO में बैठे ये अधिकारी पंकज मिश्रा को मदद पंहुचा रहे थे. वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को बताया है कि राज्य के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने एजेंसी की जांच को बाधित करने के लिए बरहरवा टोल प्लाजा मामले की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की जासूसी की थी.
फोन कॉल के जरिए दे रहे थे निर्देश
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को नामजद किया है, जो नियमित फोन कॉल के जरिए निर्देश दे रहे हैं और ईडी के अधिकारियों को निगरानी में रखने की योजना बना रहे हैं. उन्हें कानूनी सलाहकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी के रूप में भी जाना जाता है. सूत्रों ने कहा कि ईडी ने उनकी बातचीत के फोन ट्रांसक्रिप्ट संलग्न किए हैं. सूत्रों के मुताबिक ईडी ने दावा किया है कि सरकार के उक्त कानूनी सलाहकार ने अपने एक विश्वसनीय व्यक्ति को पंकज मिश्रा से मिलने के लिए जेल में भी भेजा था, यह जानने के लिए कि पुलिस रिमांड अवधि के दौरान ईडी ने उनसे और क्या पूछताछ की थी. इसके अलावा ईडी की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ईडी द्वारा इस मामले की जांच में बाधा डालने के लिए उच्च स्तरीय प्रयास किए गए. हलफनामे में किए गए खुलासों से राज्य सरकार और पुलिस की नींद उड़ सकती है.
कोर्ट ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने का दिया था निर्देश
बता दें कि मामले की सुनवाई 22 दिसंबर को न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ द्वारा की जानी है. अदालत ने 6 दिसंबर को अपनी पिछली सुनवाई में सीबीआई और ईडी को इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. अदालत ने यह आदेश शिकायतकर्ता शंभू नंदन द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया था, जिसमें पुलिस पर मंत्री आलमगीर आलम और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को बचाने का आरोप लगाया गया था.
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