रांची(RANCHI): झारखंड पुलिस के लिए वर्ष 2023 काफी बेहतर रहा. फिलहाल झारखंड में कई संगठित गिरोह सक्रिय है जो रंगदारी हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे रहे है. लेकिन अगर पूरे साल में पुलिस की कार्रवाई देखे तो इससे साफ है कि पुलिस आक्रामक होकर एक मजबूत रणनीति के तहत संगठित गिरोह पर प्रहार किया है. जिसका नतीजा सबके सामने है. साल 2023 में पुलिस ने 248 विभिन्न संगठित गिरोह से जुड़े गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. साथ ही भारी मात्रा में हथियार,बम बारूद भी बरामद किया है. इस पूरे साल सबसे अधिक प्रिंस खान के गुर्गों ने उत्पात मचाया है. सबसे अधिक गिरफ़्तारी प्रिंस गैंग से ही हुई है.
लिस्ट बना कर हुई कार्रवाई
इसी साल 17 जुलाई को रामगढ़ में अमन साहू गिरोह के गुर्गों ने ATS और रामगढ़ पुलिस पर छापेमारी के दौरान अंधा धुन फायरिंग की थी इस वारदात में ATS डीएसपी नीरज कुमार के पेट में गोली लगी थी वहीं थानेदार भी जख्मी हुए थे. इस वारदात के बाद ats ने कार्रवाई शुरू की थी जिसमें कई बड़ी सफलता मिली. इसके बाद पूरे झारखंड में सक्रिय संगठित गिरोह के गुर्गों की लिस्ट बना कर कार्रवाई की गई.जिसमें अमन साहू,प्रिंस खान,सुरजीत सिन्हा,विकास तिवारी समेत अन्य संगठन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई.
सबसे अधिक प्रिंस खान गैंग के गुर्गे धराए
साल 2023 खत्म होने से पहले पुलिस मुख्यालय ने झारखंड पुलिस के एक साल की उपलब्धियों को जारी किया है. बताया गया है कि जनवरी से 20 दिसंबर 2023 तक झारखंड के विभिन्न जिलों और थाना क्षेत्रों में संगठित गिरोह के 132 कांड प्रतिवेदन हुए है. जिसमें कार्रवाई करते हुए 248 गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. जिस गैंग पर कार्रवाई हुई उसमें पांडे गिरोह -14, अमन साव-20,प्रिंस खान 62, फ़हिम खान 03,अमन सिंह गिरोह-29, नैशनल डेमोक्रेटिक फोर्स 04,रोहित मुंडा उर्फ बीड़ी गिरोह 01, कैलू पासवान गिरोह 04,अमन श्रीवास्तव09,विकास तिवारी14,रंजीत साव गिरोह के तीन गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
72 लाख से अधिक नगद और विदेशी हथियार बरामद
साथ ही गिरफ्तार 248 गुर्गों के पास से 129 हथियार,1677 जिंदा कारतूस और 72,22,729 रुपया नगद बरामद किया गया है. इस गिरफ़्तारी से साफ है कि संगठित गिरोह पर एक बड़ा हथौड़ा पुलिस का चला है. अगर बरामद हथियार की बात करें तो इसमें कई हाईटेक हथियार भी शामिल है. मेड इन अमेरिकन से लेकर मेड इन चाइना पिस्टल भी बरामद हुई है. बरामद पिस्टल से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड में कितनी मजबूत हाल में गिरोह है. हालांकि अभी भी कई गिरोह कमजोर नहीं हुए है उनकी कारिस्तानी हर दिन देखने को मिल रही है.
विदेश में रह कर गैंग का संचालन
अगर बात प्रिंस खान गैंग की करें तो यह गैंग कोयलांचल में सक्रिय है. कोयला नगरी धनबाद में हर दिन प्रिंस खान के नाम पर कारोबारियों से रंगदारी की मांग की जाती है.प्रिंस के नाम पर रंगदारी पर्चा फेक कर या फिर मेजर के नाम से कॉल कर कारोबारियों से मांगी जाती है. प्रिंस गैंग का डर ऐसा कारोबारियों में है कि धमकी मिलने के बाद वह चुप चाप रंगदारी की रकम पहुंचा देते है.बताया जाता है कि प्रिंस खान विदेश से रह कर गैंग का संचालन करता है.
युवाओं को पैसा और हथियार देकर गैंग में करता है शामिल
अमन साव गैंग की बात करें यह गैंग लगभग आधे झारखंड में सक्रिय है.अमन साव फिलहाल जेल में बंद है लेकिन इसके गुर्गे इसके इशारे पर वारदात को अंजाम देते है. इस गैंग के काम करने का तरीका थोड़ा अलग है यह कारोबारियों के साथ साथ ठेकेदारों को भी निशाना बनाता है.हाल के दिनों में इस गैंग का आतंक पलामू,लातेहार चतरा जिले में देखा गया है.पलामू लातेहार में थर्ड रेल लाइन निर्माण कर रही कंपनी के कैम्प में गोली बारी की भी वारदात को अंजाम दे चुका है.इसके गैंग में ज्यादातर कम उम्र के युवा रहते है,जिन्हे पैसे का लालच देकर वारदात को अंजाम दिवाता है.
ऐसे ही अन्य गिरोह के गुर्गे भी अपने आका के आदेश पर रंगदारी लूट और हत्या की वारदात को अंजाम देने से जरा भी परहेज नहीं करते है. इस साल जितनी भी गिरफ़्तारी हुई है,ज़्यादतर उनके युवा ही शामिल है. गैंग के लोग गाँव में बेरोजगार युवाओं को पैसा और हथियार का लालच देते है. युवाओं को भी लगता है कि उनकी दहशत इलाके में फैलेगी. लेकिन अंत में ऐसा देखा जाता है कि या तो आपसी वर्चस्व की लड़ाई में हत्या हो जाति है या फिर जेल में ज़िंदगी बितती है.
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