टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या सुबह-सुबह टहलने के दौरान 1 जून 2012 को कर दी गई थी. इस सनसनीखेज वारदात के 11 साल गुजर जाने के बाद भी हत्यारों का सुराग नहीं लग रहा था. थक हार कर इस केस को सीबीआई को सौंपा गया. लेकिन, देश की सबसे बड़ी एजेंसी के हाथ भी एक दशक तक खाली ही रही. न कोई सुराग मिल रहा था औऱ न ही गुत्थी ही सुलझ रही थी. सवाल यही सिर पर सभी के घूम रहा था कि आखिर रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया के हत्यारे कौन है. जांच एजेंसी ने अपराधियों को पकड़ने के लिए पोस्टर जारी कर दस लाख रुपए का इनाम भी रखा था. लेकिन, नतीजा सिफर ही रहा .
सीबीआई ने पड़ताल रखी जारी
हालांकि, सीबीआई ने अपनी पड़ताल लगातार जारी रखी, ताकि हत्यारों के नजीदक पहुंचा जा सके. देर ही सही पर सीबीआई ने इस हत्याकांड को लेकर पूरक चार्जशीट आरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में दायर की है. सेशन जज 3 की कोर्ट में दायर चार्जशीट में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय समेत आठ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इसमे अभय पांडेय, नंदगोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रीतेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडेय, बालेश्वर पांडेय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय शामिल हैं.
11 साल बाद शिनाख्त
लंबी जद्दोजहद,मेहनत और पड़ताल के बाद हत्यारों की शिनाख्त मुक्कमल हो पाई, दायर इस चार्जशीट में बताया गया है कि हुलास पांडेय ने सात अन्य आरोपियों के साथ मिलकर बरमेश्वर मुखिया की हत्या का षडयंत्र रचा था.1 जून 2012 को सभी आरोपित आरा के कतिरा मोड़ पर सुबह चार बजे सभी एक जगह जमा हुए. रोजाना मुखिया जी यहां टहलने आते थे. घात लगाकर ही इन लोगों ने गोलियों से उनकी भूनकर हत्या कर दी . सभी गोलियां देशी पिस्तोल से चलायी गई थी. सीबीआई ने इस हत्याकांड की पूरी गहनता के साथ जांच करने के बाद यह अनुपूरक चार्जशीट दायर की है. ब्रहमेश्वर मुखिया के हत्या के एक साल बाद सीबीआई को केस ट्रांसफर किया गया था. लेकिन, सीबीआई के हाथ भी 9 से दस साल खाली ही रहे.
हत्याकांड के बाद हर जगह विरोध
मालूम हो कि इस हत्या की वारदात के चंद घंटे बाद ही बिहार के हर इलाके से हिंसा और अगजनी की खबरें आने लगी थी. राज्य में आरा समेत कई शहर देखते-देखते जलने लगे थे. उस वक्त इस हत्याकांड की खबरें काफी सुर्खियां बटोरी थी. मुखिया जी के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए गुस्से में लोग सड़क पर हंगामा किया था. बिहार सरकार के लिए भी मुश्किल भरा वक्त था.
कौन थे ब्रहमेश्वर मुखिया ?
ब्रहमेश्वर मुखिया रणवीर सेना के प्रमुख थे, रणवीर सेना बिहार में एक जातीय संगठन था. जिसका मकसद बड़े जमींदारों की जमीनों की रक्षा करना था. इसकी स्थापना 1995 में मध्य बिहार के भोजपुर जिले के गांव बेलाऊर में हुई थी. रणवीर सेना को खड़ा करने के पीछे बिहार के सवर्ण,बड़े औऱ मध्यम वर्ग के किसानों को भाकपा मामले नामक नक्सली संगठन से त्रस्त होना था. अक्सर माले जैसे प्रतिबंधित संगठन किसी भी जमींदार की जमीन पर लाल झंडा गाड़ देते थे और उस किसान धमकी देकर उस जमीन से बेदखल कर देते थे. उस वक्त बेलाऊर के मध्य विद्यालय प्रांगण में एक बड़ी किसान रैली की गई थी और किसान महासंघ के गठन का एलान किया गया. खोपिरा के पूर्व मुखिया बरमेश्वर मुखिया समेत कई लोगों ने इसे खड़ा करना में अपना किरदार निभाया था.
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