पटना(PATNA):पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए उसे अवैध करार दिया है, और 10 साल पहले हुई आर्मी जवान की शादी को रद्द कर दिया है. जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे पूरी तरह से अमान्य बताया.
जबरदस्ती सिन्दूर लगाना हिंदू कानून के तहत वैध नहीं है-कोर्ट
आपको बताये कि 10 साल पहले बिहार के लखीसराय जिल में एक युवक की अपहरण कर जबरन शादी करवा दी गई थी. जिस पर कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी महिला की मांग में जबरदस्ती सिन्दूर लगाना हिंदू कानून के तहत वैध नहीं है. हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है, जब तक दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे ना लें.
दुल्हन पक्ष के लोग साबित करने में असमर्थ थे कि हिंदू रिति-रिवाज से शादी हुई थी
वहीं कार्ट में प्रतिवादी दुल्हन पक्ष के लोग ये साबित करने में असमर्थ है कि दुल्हा और दुल्हन ने अग्नि के सात फेरे लिये थे या उनका हिंदू रिति-रिवाज से शादी हुई थी. जिसकी वजह से कोर्ट ने प्रतिवादी दुल्हन की ओर से गवाही के लिए आये पंडित को सप्तपदी के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात पाई. जिसकी वजह से कोर्ट ने इस विवाह को गैर कानूनी बताते हुए तोड़ दिया.
ये पूरा मामला 30 जून 2013 का है
आपको बताये कि ये पूरा मामला 30 जून 2013 का है. जब रविकांत सेना में एक सिग्नलमैन थे. वे लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में प्रार्थना करने गए थे. उसी दिन रविकांत का अपहरण कर बंदूक की नोक पर एक लड़की को सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया. लड़के ने जबरन शादी को रद्द करने के लिए पहले फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज कराया था. जहां से 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी.
जैसे-जैसे लोग शिक्षित होते गये इस तरह के विवाह में कमी आई
आपको बता दें कि बिहार में कुछ सालों पहले ' पकड़ौआ विवाह' का चलन था. जिसमें लोग अच्छे लड़के को देखकर जबरन अपनी बेटी से उसकी शादी करवा देते थे. कई हिंदी फिल्मों में भी इसको फिल्माया गया है. लेकिन जैसे-जैसे लोग शिक्षित होते गये इस तरह के विवाह में कमी आई.
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