दिव्यांग प्रशांत की नहीं है किसी को सुध, सरकार व प्रशासन ने भी मोड़ा मुंह, जानिए पूरी रिपोर्ट

बिहार(BIHAR): आज हम बात करेंगे सीतामढ़ी के प्रशांत की. महज सात साल का प्रशांत उस बच्चे का नाम है जिसके अंदर पढ़ लिख कर कुछ ऐसा कर गुजरने का जज्बा भरा है लाख परेशानी उसके रास्ते का बाधक साबित नहीं हो रहा है. प्रशांत अपना एक पैर गंवा चुका है और वो एक पैर के सहारे प्रत्येक दिन अपने घर से तकरीबन 1 किलोमीटर दूर सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता है. परिवार की आर्थिक हालत कुछ ऐसा है कि प्रशांत के लिए उसका अपना परिवार कुछ नहीं कर पा रहा है. सीतामढ़ी के परिहार प्रखंड का मलहा टोल गांव के प्रशांत की कहानी ही कुछ ऐसी है कि जो भी सुने वो उसे सल्यूट किए बिना नहीं रह सकता. जिस गांव में प्रशांत को सब जानते है. बता दें प्रशान्त मलहा टोल के सरकारी स्कूल के कक्षा दूसरी के छात्र है. एक हादसे में प्रशांत अपना एक पैर गंवा चुका है. पिछले कई सालों से प्रशांत एक पैर के सहारे स्कूल आता जाता है. इसके घर से स्कूल की दूरी तकरीबन एक किलोमीटर है. आप सहज अनुमान लगा सकते हैं प्रशांत को एक पैर के सहारे स्कूल आने जाने में कितनी परेशानी होती होगी. लेकिन बावजूद इतनी परेशानियों के पढ़ लिख कर कुछ कर गुजरने का जज्बा प्रशांत को उसकी परेशानी डगमगाने का काम नहीं कर रहा है. बताया जाता है कि कुछ साल पहले एक गलत सुई देने की वजह से प्रशांत का एक पैर गलने लगा और शरीर से टूट कर अलग हो गया. काफी इलाज के बाद भी उसके पैर को बचाया नहीं जा सका. सरकारी स्कूल के सभी शिक्षक प्रशांत की सराहना करते हैं. स्कूल की शिक्षिका प्रियंका कुमारी ने भी प्रशांत को सरकारी मदद मिल सके इसको लेकर काफी प्रयास किया. प्रियंका के प्रयास से प्रशांत को सरकार के द्वारा महज एक वैशाखी उपलब्ध कराई जा सकी है.
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