सुपौल(SUPAUL): एक शराबी ने खोली बिहार के शराबबंदी की पोल . शराबी ने बयां की बिहार की कानून व्यवस्था. ये जानकार आश्चर्य होगा कि कानूनी रूप से शराब पर प्रतिबंध के बावजूद बिहार के सुपौल में खुलेआम शराब बिक रहा है वो भी 20 रुपए में. जी हां एक शराबी ने कहा कि रोज 20 रू में शराब पीता हूं. मामला बिहार के सुपौल जिले का है. जहां एक शराबी दिलीप यादव को पकड़ा गया है . पकड़े जाने पर शराबी ने जो कहा उससे बिहार सरकार की शराबबंदी की पोल खुल गई है. शराबी को पकड़कर पुलिस ने पहले सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसने बयान दिया कि वह रोज शराब पीता है और पुलिस के सामने भी पीता है . उसने बताया की सदर थाना के बकौर गाँव के फासी खाने में ताड़ी बेचने के बजाए देशी चुलाई शराब का अवैध धंधा किया जाता है और उसे रोज सिर्फ 20 रू में शराब उपलब्ध हो जाता है. आज भी उसने शराब पी लेकिन साजिश के तहत उसे फंसा दिया गया.
बता दें सुपौल में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब बेचने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा. शराबी दिलीप यादव के इस खुलासे के बाद शराबबंदी की पोल खुल चुकी है. पुलिस एक शराबी को पकड़ कर जहां अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रही वहीं दिलीप यादव के बयान ने प्रशासन व्यवस्था को ही हासिए पर रख दिया है. बता दें की शराबी दिलीप को पुलिस ने नशे की हालत मे सुपौल के बकौर गाँव से पकड़ था.
बकौल दिलीप यादव बकौर गाँव के पासिखाने मे देशी चुलाई शराब बेची जाती है हम वहीं जाकर रोज शराब पीते हैं . शराब बिहार मे बंद है लेकिन वहाँ मिल जाता है . हम पुलिस के सामने भी पीते थे आज भी पिए है 20 रू मे शराब मिलता है लेकिन राजनीति के तहत आज हमको फंसा दिया गया है.
बताते चलें की साल 2016 से बिहार मे पूर्ण शराबबंदी है 6 साल बीतने के बाद भी ऐसा शायद ही कोई दिन बीता हो जब शराबबंदी कानून तोड़ने की की खबर न आई हो . पुलिस की सख्ती और शराब पर प्रतिबंध के बावजूद शराब धड़ल्ले से खुलेआम बिक रहा . इसी वर्ष की बात करें तो अप्रैल के महीने मे ही शराब पीने के अपराध मे 3075 लोगों को पकड़ा गया था. जिनसे लगभग 52 लाख 26 हजार रूपये जुर्माना वसूल गया था वहीं मई में 5887 लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी जिनसे 1.39 करोड़ की वसूली हुई थी. जून मे 8651 लोगों की गिरफ़्तारी हुई और 2.6 करोड़ की वसूली की गई . जुलाई मे 11557 गिरफ़्तारी और 2.90 करोड़ की वसूली अगस्त मे 18757 गिरफ़्तारी और 5.63 वसूली. सितंबर मे 20690 गिरफ़्तारी और 5.63 करोड़की वसूली . इन सबके अलावा संशोधन कानून से पहले दर्ज मामलों मे 3559 अभियुकयों को भी धार 37 के तहत दो से पाँच हजार लेकर छोड़ दिया गया.
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