नालंदा(NALANDA): रंगों के सबसे बड़े त्योहार के जश्न में हर कोई झूम रहा है. विदेशी मेहमान भी होली के गानों पर झूमते नजर आते हैं. इसी कड़ी में नालंदा जिला के बिंद थाना इलाके में स्थित अमावां स्टेट के महल को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास तेज हो गया है. नालंदा के बिन्द प्रखंड का अमावां स्टेट किला होली के रंग में रंग गया है. यहां 12 देशों के करीब 70 विदेशी मेहमान पहुंचकर महल का भ्रमण कर रहे हैं. इस दौरान विदेशी मेहमान ने फूलों की होली होली खेली और होली के गीत पर ठुमके भी लगाया. आने वाले सभी मेहमान वाईपीओ (यंग प्रसिडेंट संस्थान) के सदस्य हैं. राजा साहब के प्रपौत्र व अन्य रिश्तेदार भी वाईपीओ के सदस्य हैं. जिनके आग्रह पर विदेशी उद्योगपतियों का दल महल आया है. महाराजा के प्रपौत्र हर्षत रंजन एवं उनकी पत्नी पुत्र ने आए मेहमानों का स्वागत तिलक व दुपट्टा देकर किया. खासकर होली के अवसर पर बनने वाले पकवान अतिथियों को परोसा गया. स्वर्णिम इतिहास संजोए महल को वैश्विक पहचान दिलाने का यह एक प्रयास है.
अमावां स्टेट का इतिहास
अमावां स्टेट के महाराज राजा हरिहर प्रसाद नारायण सिंह को इग्लैंड की महारानी ने बहादुर की उपाधि से नवाजा था. जानकारों की मानें तो इनका राज्य 1860 से 1952 तक फलता-फूलता रहा. राजशाही के जमाने में अमावां स्टेट की मालगुजारी से प्रति माह 35 लाख रुपए राजस्व की वसूली आती थी. महल व सिपहसलारों के घरों को रौशन करने के लिए यहां पॉवर हाउस था. अमावां स्टेट के हवेली को 52 कोठी 53 दरवाजा भी कहा जाता है. जिस वक्त दूर-दूर तक बिजली का नामोनिशान नहीं था उस वक्त इस स्टेट में जैंसेट के द्वारा रौशन करता था पूरा महल, आज भी उस इतिहास का गवाह अपने दीवारों पर सर्किट बोर्ड एवं स्विच के सहारे छोड़े हुए है. कोलकाता के इंजीनियरों के द्वारा यहां बिजली सप्लाई की देख रेख होती थी. देखरेख के अभाव में आज यह महल खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यहां के महलों के छतों में यूज होने वाले बीम में सारे के सारे यूएसए मेड लगे हुए हैं.
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