धनबाद(DHANBAD): संपूर्ण क्रांति की शुरुआत बिहार से हुई थी. नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने किया था. लोग जुटते गए और कारवां बढ़ता चला गया. अभी विपक्षी एकता के अगुआ बने हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अभियान भी बिहार से शुरू हुआ है और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. विपक्षी दल भी 2004 की तरह ही एकजुटता चाहते है. 2004 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली एनडीए को कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए ने शिकस्त दी थी. फिलहाल जो प्रयास चल रहे हैं, उसके मूल में 3 राज्यों के 16 2 लोकसभा की सीटें है. यूपी में लोकसभा की 80, बिहार में 40 और पश्चिम बंगाल में 42 सीटें है. विपक्षी दल यह सोच रहे हैं कि अगर इन सीटों पर भाजपा को वह रोक सकेंगे तो केंद्र में सत्ता का समीकरण में उलटफेर हो सकता है. अभी तो नीतीश कुमार द्वारे- द्वारे घूम रहे है. ममता बनर्जी ने तो साफ कर दिया है कि उन्हें कोई परहेज नहीं है और ना कोई ईगो है. वह तो भाजपा को जीरो देखना चाहती है. हालांकि विपक्षी एकता के मुहिम पर भी सवाल खड़े हो रहे है.
सबसे बड़ा सवाल -क्या कांग्रेस राजी होगी
सवाल किया जा रहा है कि क्या कांग्रेस इसके लिए राजी होगी ,दूसरा सवाल यह है कि ममता बनर्जी अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, नवीन पटनायक क्या कांग्रेस के साथ एकता में भरोसा करेंगे. तीसरा सबसे बड़ा और अहम सवाल है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा. हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने सभी नेताओं से मिलने की कोशिश की है,मिले भी है. हालांकि नवीन पटनायक से अभी उनकी भेंट नहीं हो पाई है. अभी तक के प्रयास में नीतीश कुमार को कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई है. सभी यही कह रहे हैं कि भाजपा के खिलाफ गोलबंद होकर उसे सत्ता से रोकना है. नीतीश कुमार ने कहा है कि जल्द ही क्षेत्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे, जितने दल साथ बैठने और चलने को सहमत होंगे, उन्हें साथ लेकर चलने की कोशिश की जाएगी. माना जा रहा था कि नेताओं में ईगो की टकराहट हो सकती है लेकिन भाजपा के खिलाफ गोलबंदी में अभी तक कोई टकराव दिखी नहीं है. इस अभियान की एक खासियत और समझ में आ रही है कि बहुत ठोक पीटकर कदम आगे बढ़ाए जा रहे है. ममता बनर्जी ने तो साफ़ ही कर दिया है कि उनका कोई ईगो को नहीं है.
नीतीश बोले -देश में विकास के लिए कोई काम नहीं हो रहे
नीतीश कुमार का कहना है कि देश में विकास के लिए कोई काम नहीं हो रहे है. नीतीश कुमार को ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने साफ किया कि हम सब साथ हैं और मिलकर आगे का सफर तय करेंगे. देश में जिस तरह का संकट है, उसमें संविधान को बचाने के लिए हम एकजुट होकर लड़ेंगे. ममता बोली कि मैं चाहती हूं कि भाजपा जीरो हो जाए, कैसे होगी , यह सब बाद में तय करेंगे, देखना होगा कि विपक्षी एकता का कदम आगे कैसे बढ़ता है और कौन-कौन से क्षेत्रीय क्षत्रप भी इसमें शामिल होते है. वैसे, आज के दिन में भाजपा सत्ता में है, उसके पास भी अपनी चुनावी चाणक्य नीति है. बहुत आसानी से सब कुछ हो जाएगा, ऐसा लगता नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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