हाजीपुर(HAJIPUR): 2024 के लोकसभा चुनाव के नजदीक आते-आते बिहार का राजनीतिक टूर्नामेंट अब फाइनल दौर में पहुंच चुका है. चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस की पॉलिटिकल लड़ाई का फिनाले भी देखने को मिल रहा है. चिराग पासवान ने खुलकर अब पिता रामविलास पासवान की परम्परागत सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है.
चाचा भतीजे की लड़ाई में फंसा हाजीपुर सीट
वहीं इसके बाद पशुपति पारस ने ये सीट छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है और कहा है कि हाजीपुर के लोगो का आशीर्वाद मेरे साथ है. हाजीपुर के लोगो ने मुझे ढ़ाई लाख वोटों से जीता कर मुझे मंत्री बनाया. रामविलास पासवान ने ही मुझे हाजीपुर की सीट दी थी. और हाजीपुर की सेवा के लिए चुना था. ऐसे में हाजीपुर की सीट छोड़ने का सवाल ही नहीं है.
चिराग ने पिता की परम्परागत सीट पर ठोकी दावेदारी
आपको बताये कि रामविलास पासवान की मौत और लोजपा में टूट के बाद से ही पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच राजनीतिक विरोध जारी है. पार्टी में टूट के बाद सभी 5 सांसदों को लेकर पशुपति पारस ने भतीजे चिराग को निहत्था कर दिया. और केंद्र में मंत्री बन गए. तो वहीं चिराग पासवान लगातार संघर्ष करते दिख रहे हैं. एक तरफ जहां चाचा ने उन्हे राजनीतिक तौर पर कमजोर किया तो वहीं रामविलास के जाने के बाद बीजेपी भी चिराग पासवान से दूर दिख रही है. राजनितिक विरासत के लिए चिराग ने अब चाचा से सीधी लड़ाई का एलान कर दिया है.
चाचा ने सीट छोड़ने से किया इंकार
आपको बता दें कि बिहार में लोकसभा की 6 आरक्षित सीट है. जिसमे हाजीपुर और जमुई सहित 3 सीटों पर पासवान परिवार सांसद है. बेशक पशुपति पारस हाजीपुर से सांसद है. लेकिन NDA के संपर्क में सीट शेयरिंग के फार्मूले में चिराग अपने पिता की परम्परागत सीट और चाचा के संसदीय सीट हाजीपुर की मांग पर अड़े है. तो वहीं चाचा पारस ने भी अब सीट किसी कीमत पर नहीं छोड़ेने पर अड़े हैं.
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