टीएनपी डेस्क(TNP DESK): दुमका डीआईजी ने जब से अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा को क्लीन चीत दी है, तब से चारों ओर पंकज मिश्रा की ही चर्चा हो रही है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पंकज मिश्रा इतने रसूक वाला व्यक्ति है कि डीआईजी को खुद पीसी कर उसे क्लीन चीट देनी पड़ी और तो और पुलिस ने ये भी बताया कि पंकज मिश्रा के खिलाफ केस करने वाले विजय हांसदा से जबरदस्ती केस करवाया गया है. मगर, मामले में ऐसा मोड़ आया कि पुलिस की फजीहत होने लगी और पुलिस पर पंकज मिश्रा को बचाने के आरोप लगने लगे. पहले जानते हैं कि पंकज मिश्रा कौन है और पुलिस और अधिकारियों के बीच क्यों उसका इतना रसूक है.
कौन है पंकज मिश्रा?
पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का विधायक प्रतिनिधि है. इसके साथ ही साहेबगंज जिले में 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन मामले में ईडी ने उसे मुख्य आरोपी भी बनाया है. इन सब के अलावा वह एक बड़ा पत्थर कारोबारी है. बरहरवा, मिर्जाचौकी समेत जिले के तमाम इलाकों में पत्थर कारोबार का नेटवर्क पंकज मिश्रा के संरक्षण में चलता है. इलाके में उसकी छवि एक दबंग की भी है. अवैध खनन मामले से पहले रुपा तिर्की मामले में भी पंकज मिश्रा का नाम सामने आया था. इस मामले में लगातार प्रदर्शन हुए, सीबीआई जांच की मनाग भी हुई, लेकिन इस मामले में पंकज मिश्रा पर आंच भी नहीं आई.
पुलिस और अधिकारियों के बीच क्यों है उसका इतना रसूक
पंकज मिश्रा पत्थर कारोबारी के साथ-साथ सीएम हेमंत सोरेन का विधायक प्रतिनिधि भी है. ऐसे में रसूक होना तो आम बात है. मगर, इसके अलावा पंकज मिश्रा के रसूक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह चार-चार अंगरक्षक के साथ चलता था. साथ ही उस पर कारोबारियों को धमकाने, कोयला, बालू, और पत्थर के अवैध कारोबार का भी आरोप है. सरकारी टेंडर लेने से लेकर अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी पंकज मिश्रा का रोल होता था. उसके रसूक का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जेल में रहने के बाद भी वो अधिकारियों से बात करता है और अपने अवैध कारोबार को संचालित करता है, इसका खुलासा ईडी ने किया है. इस रसूक के पीछे की वजह ये भी है कि अवैध खनन का कारोबार बिना अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकती. ऐसे में पंकज मिश्रा के साथ ही अधिकारियों के भी अवैध खनन मामले में शामिल होने की संभावना है. ऐसे में ईडी की रडार पर कई अधिकारी भी हैं, जिनसे ईडी पूछताछ कर सकती है. इसी के चलते अधिकारियों पर पंकज मिश्रा को बचाने का आरोप लग रहा है.
पुलिस की क्यों हो रही फजीहत
पंकज मिश्रा मामले में दुमका और साहेबगंज पुलिस पर झूठ बोलने का अराओप लग रहा है और इसी के कारण पुलिस की फजीहत होनी शुरू हो गई है. दरअसल, अवैध खनन मामले में आरोपी पंकज मिश्रा को लेकर संताल के डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने एक प्रेस कान्फ्रेंस किया और इसमें उन्होंने पंकज मिश्रा को क्लीन चीट दे दी. ये प्रेस कान्फ्रेंस इसलिए भी खास था, क्योंकि ये शायद पहला मौका है जब डीआईजी रैंक का ऑफिसर प्रेस कान्फ्रेंस कर किसी आरोपी को क्लीन चीट दे रहा हो. इसी से आप पंकज मिश्रा के रसूख का अंदाजा लगा सकते हैं. क्लीन चीट देने के दौरान डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने बताया कि पंकज मिश्रा के खिलाफ जिस विजय हांसदा ने परिवाद पत्र भेजा था और केस दाखिल करने की बात कही थी वह अब केस नहीं लड़ना चाहता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि विजय हांसदा ने अशोक यादव के कहने पर पत्र दाखिल किया था. इसके अलावा विजय से पुलिस को लिखकर दिया है कि उससे झूठा केस कराया गया था.
विजय हांसदा ने पुलिस थ्योरी को बताया झूठा
मगर, अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. जिससे पुलिस की ये थ्योरी झूठी साबित हो रही है. क्योंकि पुलिस की जिस थ्योरी में बताया गया कि विजय हांसदा केस नहीं लड़ना चाहता और उससे झूठा केस कराया गया है. उस विजय हांसदा ने अब कोर्ट को अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक आवेदन सौंपा है, जिससे पुलिस पर ही सवाल उठने लगे हैं. विजय हांसदा ने इस आवेदन में कोर्ट को बताया कि वह केस लड़ना चाहता है. पुलिस ने उससे एक सादे कागज पर साइन लिया था, और उसी पर पुलिस ने अवैध खनन मामले में दर्ज उसकी शिकायत को वापस लेने के लिए पेपर तैयार कर लिया. विजय ने कहा कि वह अभी भी अपनी शिकायत पर कायम है और केस लड़ना चाहता है. बता दें कि विजय हांसदा 13 नवंबर से जेल में बंद है. उसे साहेबगंज पुलिस ने आर्म्स ऐक्ट के मामले में जेल भेजा है. मगर, अब वह अवैध खनन मामले में ईडी की ओर से गवाह भी बन चुका है. विजय हांसदा के इस आवेदन के बाद दुमका पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं और उस पर पंकज मिश्रा को बचाने का आरोप लग रहा है. इसी कारण पुलिस की फजीहत हो रही है.
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