टीएनपी डेस्क (TNP DESK): मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को नग्न परेड करवाने का वीडियो सामने आने के बाद जदयू ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इस मामले में सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल पूछा है कि उनका 56 इंच का सीना किस काम, जबकि देश में आदिवासी, दलित और पिछड़ों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, महिलाओं की आबरु लूटी जा रही है और इस कुकृत्य का विरोध करने पर परिजनों को मौत के घाट उतारा जा रहा है. इस सबसे के बावजूद 56 इंच का सीना वाला शेर चुप क्यों है?
ललन सिंह का ट्वीटर वार
भाजपा और पीएम मोदी की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा है कि मणिपुर में 56 + 56 इंच सीने वाली डबल इंजन की सरकार की छत्रछाया में राज्य के बहुसंख्यक शोषित-वंचित और गरीब तबकों को पैरों तले रौंदा जा रहा है. महिलाओं पर अत्याचार की सारी हदें लांघ दी गई हैं, फिर भी देश के 56 इंच सीने वाले तथाकथित शेर चुप बैठे हैं, आखिर क्यों ? मणिपुर की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है. पता नहीं आदरणीय प्रधानमंत्री जी को मानवता के प्रति संवेदना है भी या नहीं...! विदेशों में जाकर अपना जयकारा लगवाने वाले प्रधानमंत्री श्री @NarendraModi जी को देश में महिलाओं के साथ हो रहा घोर अत्याचार क्यों नहीं दिखता है? डबल इंजन की सरकार वाले राज्य में महिलाओं के साथ शर्मसार करने वाली इस घटना पर अब तो मौनव्रत तोड़िए साहब.
जदयू प्रवक्ता ने भी खोला मोर्चा
इस बीच जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि जब मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों में व्यस्त है, देश बदलने के बड़े बड़े वादे किया जा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मणिपुर हर अपना जुबान खोलने को तैयार नहीं हैं, मणिपुर के लोगों को उनके भाग्य के भरोसो छोड़ दिया गया है
पिछले तीन माह से जल रहा है मणिपुर
यहां बता दें कि पिछले तीन महीने से दो समुदायों के बीच जारी हिंसा के कारण सुर्खियों में रहा मणिपुर से अब आदिवासी दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की खबर आयी है. भीड़ के द्वारा इन महिलाओं का नग्न परेड करवाने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
किस कारण मचा है बवाल
दर्ज प्राथमिकी के 4 मई को कांगपोकपी जिले में स्थित कुकी बहुल गांव बी. फीनोम को मैतेई युवा संगठन, मैतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरामबाई तेंगगोल, विश्व मैतेई परिषद के लोगों के द्वारा घेर कर आगजनी और लूट की लोमहर्षक वारदात को अंजाम दिया गया. कुकियों के घरों को चुन चुन कर आग के हवाले किया गया. इस मंजर को सामने देख कर कुछ महिलाएं जंगल की ओर भागी. लेकिन मतैई समुदाय की इस भीड़ की नजर इन महिलाओं पर पड़ गयी, और भीड़ के द्वारा उनका पीछा किया जाने लगा. इस बीच वहां पुलिस भी पहुंचती है, और महिलाओं और उनके पुरुष साथियों को अपने संरक्षण में लेती है, लेकिन भीड़ पुलिस बल को ही अपना निशाना बनाने लगती है, पुलिस से इन महिलाओं को खींच कर अपने साथ ले जाने में वह कामयाब रहती है. जिसके बाद उनके साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया जाता है, साथ ही उनका नग्न परेड भी करवाया जाता है. और इसका वीडियो पर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाता है. ताकि कुकी समुदाय को उनकी औकात दिखलाई जा सके.
20 से 50 के बीच की हैं महिलाएँ
इसमें एक पीड़िता की उम्र करीबन 20 वर्ष, जबकि दूसरी पीड़ता की उम्र करीबन 40 वर्ष की है, एक और 50 वर्षीय महिला के साथ ही सामूहिक बलात्कार की खबर है. दावा किया जा रहा है कि जब महिलाओं के द्वारा इसका विरोध किया गया तब भीड़ के द्वारा एक पीड़िता के भाई और दूसरे के पिता की नृशंस हत्या कर दी गयी.
18 मई तक नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
हैरत तो इस बात की है कि भीड़ के द्वारा चार मई को आदिवासी महिलाओं के साथ अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया जाता है, उनकी सुरक्षा से महिलाओं को भीड़ उठा ले जाती है, बावजूद इसके 18 मई तक इसकी प्राथमिकी भी दर्ज नहीं होती. जबकि वीडियो फूटेज में कई चेहरें साफ-साफ देखे जा रहे हैं. अब जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा तब खुद सुप्रीम कोर्ट को इसका स्वत: संज्ञान लेना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए, कहा है कि आप इस मामले में तत्काल कुछ करें नहीं को कोर्ट खुद ही कार्रवाई करने को बाध्य होगी. सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार के बाद सरकार हरकत में आयी और प्रधानमंत्री ने भी इस कुकृत्य की कड़ी भर्त्सना की.
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