Ranchi-दिशोम गुरु शिबू सोरेन को लेकर सीता सोरेन के ट्वीट पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि उस ट्वीट पर सफाई देते हुए सीता सोरेन पहले की यह दावा कर चुकी कि चुनावी व्यस्तता के कारण उनके सारे ट्वीट सोशल मीडिया हैंडल के द्वारा लिखे जा रहे हैं, जिसे इस काम के लिए हायर किया गया है. जैसे ही उन्हे इस अमर्यादित टिप्पणी की खबर मिली, तत्काल कार्रवाई कर की गयी. बावजूद इसके यह विवाद थमता दिख नहीं रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर उस दुमका में दिखने को मिल रहा है, जिस अखाड़े में इस बार सीता सोरेन की अग्नि परीक्षा होनी है.
कितना बदल गयी सीता?
दुमका में बहस इस बात पर तेज है कि आखिर वह सीता जिसके दिल में गुरुजी के प्रति इतना सम्मान था, भाजपा में जाते ही कैसे बदल गई. जिस बाबा की उंगली पकड़ कर राजनीति का ककहरा सीखा, पाला बदलते ही यह मर्माहत करने वाला वाण क्यों छोड़ रही है? क्या सीता सोरेन अपनी सियासी महत्वाकांक्षा में उस बाबा का सम्मान भी भूल गयी, जिनकी छत्रछाया में उनकी जिंदगी गुजरी थी, उनकी बेटियों की परवरिश हुई थी. और इन सवालों के बीच बार बार सीता सोरेन को अपनी सफाई पेश करनी पड़ रही है.
सीता सोरेन का पलटवार, झामुमो पर लगाया बाबा के अपमान का आरोप
अपने ताजा सफाई में सीता सोरेन उसी सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि “झारखंड आंदोलन के एक मजबूत सिपाही, राजनीति के भीष्म पितामह, हमारे दुखहर्ता और पालनकर्ता आदरणीय बाबा जी का जेएमएम द्वारा जो अपमान किया जा रहा है, उससे झारखंड का कोई भी गांव अछूता नहीं है. जेएमएम के मुखौटे में बैठे सत्ता की लालसा लिए शीर्ष नेताओं द्वारा हम सबके प्रेरणास्रोत बाबा जी की तबीयत खराब होने के बावजूद भी अपने स्वार्थवश उन्हें उलगुलान के नाम पर कभी चिलचिलाती धूप में बैठाया गया तो कभी संसद ले जाया गया, यही नहीं परमपूज्य दिशोम गुरु जी को निर्णय लेने वाली समिति से भी दरकिनार कर दिया गया. जिन्होंने अपने खून पसीने से जेएमएम पार्टी रूपी वृक्ष को सींचा, खड़ा किया आज उसी पार्टी के द्वारा बाबा जी के संघर्षों को भुला दिया गया है, उनकी बनाई गई बगिया को उजाड़ कर पहले फेंका गया, फिर बंजर बनाकर छोड़ दिया गया, ऐसे संस्कारहीन, नैतिकता की सारी हदें पार करने वाले जेएमएम के नेता आज खुद को बगिया का मालिक समझने की भूल कर बैठे हैं. दुर्गा सोरेन जी के देहावसान के बाद जब मुझे और मेरी बेटियों को मेरे ही परिवार द्वारा दरकिनार कर दिया गया तब मुझ जैसे अबोध का बाबा जी ही एकमात्र सहारा बने रहे, उनके संरक्षण में मैंने राजनीति का क, ख, ग...सीखा है, मेरी बेटियों ने अपने बाबा जी उंगली पकड़कर चलना सीखा, अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा। पूज्यनीय ससुर होने के साथ साथ बाबा जी मेरे लिए राजनीति के द्रोणाचार्य हैं, जिनका अपमान करना मेरे लिए खुद के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना है, लेकिन जेएमएम के पास जब कोई भी मुद्दा नहीं बचा है तो वह आज ऐसी गन्दी और तुच्छ राजनीति को जनता के सामने परोसने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे गुरुजी, मेरे पितातुल्य बाबा जी के नाम पर राजनीति करने वालों, उनका अनादर करने वालों उनके बिगड़ते स्वास्थ्य का भी तनिक ख्याल कर लो, सिर्फ सत्ता की राजनीति करने से आपको सत्ता तो जरूर मिल सकती है पर दिशोम गुरुजी जैसी कोमलता, मृदुलता, उपलब्धि और महारत ऐसी तुच्छ राजनीति से कदापि नही मिल सकती है। झारखंड के लोगों के दिलों में जितना प्रेम बाबा जी के लिए है, उतना ही या उससे कहीं ज्यादा मेरे दिल में भी है, मेरी बेटियां इस बात की गवाह हैं कि बाबा जी सिर्फ मेरे ससुर भर नहीं, बल्कि मेरे गुरु, मेरे पिता तथा मेरी छोटी राजनीतिक पारी के मार्गदर्शक और सूत्रधार भी हैं। उनके कदमों की धूल को अपने माथे में लगाकर ही मैंने दुमका की सेवा करने का संकल्प लिया है और इन रास्तों में विरोधियों के बिछाये कांटे तो जरूर आयेंगे पर आपको बताना चाहती हूं कि कांटों पर चलना बाबा जी का इतिहास रहा है और इस परंपरा को आगे बढ़ाकर अपने पैर के छालों को भुलाकर उन्हीं के रास्तों में चलकर दुमका की सेवा करना मेरा प्रथम कर्तव्य है”
पहले क्या हुआ था ट्वीट
दरअसल इसके पहले सीता सोरेन के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट सामने आया था, जिसमें लिखा था कि “परिवारवादी शहजादे और बाप बेटे की जोड़ी ने झारखंड को लूट का अड्डा बनाकर छोड़ दिया है, लेकिन अब जनता ने ठान लिया है कि इस बार ठगबंधन का पूरी तरह से सफाया हो जायेगा” पूरे विवाद की वजह यही ट्वीट है, जिसके बाद सीता सोरेन को बार-बार अपनी सफाई देनी पड़ रही है, इसके पहले सीता ने सोरेन ने अपनी सफाई में लिखा था कि “अभी अभी पता चला है कि मेरे सोशल मीडिया अकाउंट से एक ट्वीट पोस्ट किया गया है जो असंवेदनशील है और मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। चुनावी व्यस्तताओं के कारण मैं अपना सोशल मीडिया खुद नहीं चला पा रही हूं, और इसकी जिम्मेदारी एक सोशल मीडिया टीम को दी थी जिसकी तरफ से चूक हुई है। मामले का संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही कर दी गईं है। साथ ही मैं ये कहना चाहती हूं कि जिसने भी मेरी राजनीति को देखा है वे जानते हैं कि मैं बाबा का कितना सम्मान करती हूं पर कुछ लोग इतने मुद्दाविहीन हैं कि इस ट्वीट का राजनैतिक फायदा उठाना चाहते हैं। झारखंड की जनता से आग्रह है कि इनकी भ्रामक बातों में न फंसे”
सीता सोरेन की यह दूसरी सफाई है. साफ है कि इस विवाद में उनके लिए दुमका में संकट गहराने लगा है और जनभावनाओं के उभार के बीच उन्हे बार बार अपनी सफाई पेश करनी पड़ रही है. जबकि दूसरी ओर झामुमो की रणनीति इस विवाद में इतना उलझाने की है, ताकि सीता के लिए दुमका वाटरलू साबित हो जाय.
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