डिलिस्टिंग का जवाब आदिवासी एकता महारैली! चार फरवरी को रांची की सड़कों पर बंधु तिर्की का शक्ति प्रर्दशन

जनजाति सुरक्षा मंच यदि आदिवासियों का इतना ही बड़ा पैरोकार है तो वह आदिवासी जमीन के लूट के खिलाफ अपनी आवाज बुंलद क्यों नहीं करता. आदिवासियों की जमीन लूटनेवाले वैसे लोग हैं जो दूसरे प्रदेशों से झारखण्ड में आये हैं. जमीन की इस लूट के कारण आज आदिवासियों को राजधानी सहित दूसरे शहरों से उजाड़ा जा रहा है, लेकिन जनजातीय सुरक्षा मंच इस ज्वलंत मुद्दे पर एक साजिश तहत चुप्पी साध जाता है. उसे इस बात की फिक्र नहीं है कि आज पूरे झारखंड से वह पलायन को विवश हैं. उनके हितों को कुचला जा रहा है, लेकिन इन  मुद्दों पर जनजाति मंच अपना  मुंह खोलने को तैयार नहीं है,

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