Ranchi-मकर सक्रांति की खिचड़ी के साथ ही झारखंड में सियासी खिचड़ी अपने उफान पर है. एक तरफ जहां इंडिया गठबंधन के अंदर बैठकों का दौर जारी है, झामुमो प्रतिनिधिमंडल सीट शेयरिंग को अंतिम रुप देने के लिए दिल्ली का उड़ान भर रहा है, वहीं एनडीए के अंदर भी खिचड़ी पकती दिख रही है, यहां भाजपा के सामने मुख्य चुनौती आजसू को कम से कम सीटों पर सिमटाने की है. क्योंकि आजसू को यह पता है कि वर्ष 2019 में अकेले दम पर मैदान में उतरी भाजपा का हस्श्र क्या हुआ था. यदि भाजपा झारखंड में कमल खिलाना है, तो वह रास्ता आजसू से होकर ही गुजरता है, यह ठीक है यदि आजसू भी अपने बूते झामुमो को बेधने की हैसियत में नहीं है, लेकिन यह भी उतना ही सत्य कि यदि आजसू का साथ छुट्टा तो भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में अपना पुराना प्रर्दशन दुहराना हिमालय की चोटी पर चढ़ने के समान होगा.
संताल से कोल्हान तक झामुमो ने अपने कल पूर्जे को दुरुस्त कर रखा है
क्योंकि संताल से लेकर कोल्हान तक अपना विजय पताका फहरा कर झामुमो ने यह साबित कर दिया है कि उसने इस बार अपने सारे पार्ट पूर्जे दुरुस्त कर लिये हैं, भाजपा को यदि कमल खिलाना है तो उसे उतरी छोटानागपुर के बोकारो, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, हज़ारीबाग, कोडरमा और रामगढ़ और दक्षिण छोटानागपुर का गुमला, खूंटी, लोहरदगा, राँची और सिमडेगा पर ही अपना फोकस करना होगा और दक्षिण छोटानागपुर के जिले भी भाजपा के लिए अपराजेय नहीं है. भले ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने खूंटी से किसी प्रकार जीत हासिल कर ली हो और आज भी खूंटी विधान सभा पर भाजपा के नीलकमल मुंडा का कब्जा हो, लेकिन चुनौतियां खूंटी से लेकर सिमडेगा तक बनी हुई है.
उतरी छोटानागपुर भाजपा का मुख्य आधार क्षेत्र
इस हालत में उसका मुख्य फोकस उतरी छोटानागपुर पर ही करना होगा, लेकिन यदि उतरी छोटानागपुर में भी आजसू साथ खड़ी नहीं होती है, तो भाजपा के लिए बोकारो, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, हज़ारीबाग, कोडरमा और रामगढ़ को भेदना इतना आसान भी नहीं होगा और इसका हश्र वह विधान सभा चुनाव में देख चुकी है. इस हालत में आजसू यदि भाजपा की ताकत है तो सत्ता का हिस्सेदार भी, और कोई कारण नहीं है सुदेश महतो जैसे मंजा हुआ सियासतदान इसकी कीमत वसूलने में पीछे रहे.
हालांकि अब तक सब कुछ सामान्य होता दिख रहा है, लेकिन अंदर सब कुछ ठीक ही है, यह दावा भी नहीं किया जा सकता, अब इस समझौती की रुप रेखा क्या होगी, यह तो समय बतायेगा, लेकिन इतना तय है कि यदि भाजपा को कमल खिलाना है तो उसे आजसू की शर्तों के आगे झुकना होगा, क्योंकि यह चुनाव लोक सभा है, भविष्य प्रधानमंत्री मोदी का लगा हुआ है, यहां कहीं से भी सुदेश महतो को कुछ खोना नहीं है.
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