“बच्चों के ओठों पर हंसी की खातिर, ऐसी मिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाउं” बुलंद आवाज के गायक मुनव्वर राना हुए सुपुर्द-ए-खाक

लेकिन इतने बड़े शायर होने के  बावजूद उन्हे एक अदद बेड के लिए संधर्ष करना पड़ रहा था, तब उसी अस्पताल से मुनव्वर राना ने लिखा था ‘मैं अपने आपको इतना समेट सकता हूं, कहीं भी कब्र बना दो, मैं लेट सकता हूं”

“बच्चों के ओठों पर हंसी की खातिर, ऐसी मिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाउं” बुलंद आवाज के गायक मुनव्वर राना हुए सुपुर्द-ए-खाक