कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का फिर अपना क्या? राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान के बाद बिहार में ब्राह्मण-क्षत्रिय विवाद तेज

बदलाव का उद्घोष भी वहीं से निकला है. क्रांतिकारी कवि गोरख पांडे हो या सुदामा पांडे या फिर जन कवि पाश या बाबा नागार्जुन सामाजिक यथार्थ को आईना दिखलाते ये नायक को ऊंची जातियों का ही प्रतिनिधित्व कर रहे थें. उनकी पूरी वैचारिकी दलित पिछड़ें और वंचित तबकों के पक्ष में थी.

कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का फिर अपना क्या? राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान के बाद बिहार में ब्राह्मण-क्षत्रिय विवाद तेज