टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड को राजनीति का प्रयोगशाला कहा जाता है. राजनीति में यहां हर तरह के प्रयोग होते रहे हैं .2014 से 2019 तक ही पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास यहां 5 साल तक सरकार चलाने में सफल रहे. इस कार्यकाल में भी बहुमत एक प्रयोग के भरोसे ही जुगाड़ किया गया था. लंबी सियासी खींचतान के बाद 31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन को भी इस्तीफा देना पड़ा. और खास बात यह रही कि झारखंड में सत्ता की धुरी रहे शिबू सोरेन परिवार को पहली बार सत्ता चंपई सोरेन को सौंपनी पड़ी. यह अलग बात है कि चंपई सोरेन झारखंड आंदोलन के बड़े चेहरे हैं. पार्टी में इनका मजबूत दखल है. झारखंड मुक्ति मोर्चा जब-जब सत्ता में आई, चंपई सोरेन को मंत्री पद मिला. तमाम अटकलें के बीच बुधवार को हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को सत्ता की चाबी सौंप दी.
हेमंत सोरेन झारखंड में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. 2010 में गठबंधन की सरकार बनी थी. इस सरकार में वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे. हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री बने थे .आगे चलकर सरकार में खटपट शुरू हुआ और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपना समर्थन वापस ले लिया. फिर तो झारखंड में कुछ दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगा .13 जुलाई को हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. कांग्रेस,राजद और निर्दलीय के सहयोग से हेमंत सोरेन 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. वह लगभग 14 महीने तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को बड़ी जीत मिली. उसके बाद कांग्रेस और राजद के सहयोग से हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली.
2008 में राज्य में पहली बार लगा राष्ट्रपति शासन
राज्य गठन के समय 15 नवंबर 2000 को भाजपा के बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. उनकी सरकार लगभग ढाई साल तक चली. इसके बाद अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया. वह लगभग 2 साल तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद शिबू सोरेन 12 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. 2005 को फिर से अर्जुन मुंडा लगभग डेढ़ साल के लिए मुख्यमंत्री बने. फिर तो निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने. इनका कार्यकाल भी लगभग 2 साल का रहा .शिबू सोरेन दूसरी बार 2008 में मुख्यमंत्री बने लेकिन इनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का रहा. इसके बाद राष्ट्रपति शासन इस राज्य ने पहली बार देखा.
1 जून 2010 को दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा
2009 में तीसरी बार शिबू सोरेन 6 माह के लिए मुख्यमंत्री बने. 1 जून 2010 को दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा. 2010 को अर्जुन मुंडा तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन उन्हें लगभग ढाई वर्ष में मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. फिर तीसरी बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा. इसके बाद 2013 को हेमंत सोरेन पहली बार मुख्यमंत्री बने लेकिन इनका कार्यकाल भी डेढ़ साल का ही रहा. 2014 को भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार में रघुवर दास मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन ईडी की कार्रवाई की वजह से उन्हें 31 जनवरी को इस्तीफा देना पड़ा.
कौन कब-कब रहे मुख्यमंत्री
झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन मधुकोड़ा, हेमंत सोरेन, रघुवर दास और राष्ट्रपति शासन के इर्द-गिर्द घूमती रही. बाबूलाल मरांडी 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर अर्जुन मुंडा 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे. शिबू सोरेन 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर अर्जुन मुंडा 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर निर्दलीय मधु कोड़ा 14 सितंबर 2006 से 23 अगस्त 2008 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर शिबू सोरेन 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 तक राष्ट्रपति शासन लगा. फिर 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे. फिर 18 जनवरी 2013 से 12 जुलाई 2013 तक राष्ट्रपति शासन लगा. हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक मुख्यमंत्री रहे. 28 दिसंबर 2014 से लेकर 29 दिसंबर 2019 तक रघुवर दास मुख्यमंत्री रहे. यही यह कार्यकाल था, जिसमें झारखंड सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. फिर हेमंत सोरेन 29 दिसंबर 2019 से इस्तीफा देने तक 31 जनवरी 2024 तक मुख्यमंत्री रहे. अब चंपई सोरेन नेता चुने गए हैं.
31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को किया गिरफ्तार
सूत्रों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने मनरेगा घोटाले के समय से ही राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी थी. 2010 में हुए इस घोटाले के समय खूंटी जिले के उपायुक्त रही पूजा सिंघल 2022 में खनन सचिव के पद पर पदस्थापित थी. 2022 को ईडी ने पूजा सिंघल के और उनसे जुड़े लोगों के ठिकाने पर छापा मारा. उसके बाद से कार्रवाई तेज हुई और अंततः 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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