Patna-राजनीति का बेताज बादशाह माने जाने वाले लालू यादव ने अपने जीवन काल में ना जाने कितनी सरकारों को बनते बिगड़ते देखा है. कई बार तो वह खुद ही इन सरकारों के प्रमुख शिल्पकार रहे हैं. एक दौर वह भी था जब उन्हे दिल्ली का किंग मेकर की उपाधि से नवाजा जाता था. और हो भी क्यों नहीं? इन्द्र कुमार गुजराल से लेकर देवगौड़ा की सरकारों को अपनी उंगलियों पर नचाने वाला और कोई नहीं, यही खांटी बिहारी राजनेता लालू यादव था, जिसके वाक्य विन्यास से संसद की उदासियां दूर होती थी. लालू का तंज सामने आते ही उनके विरोधी भी अपना गुस्सा थूक कर मुस्कुराने को विवश हो जाते थें. हालांकि उस दौर में भी उनके वाक्य विन्यास और देशज अन्दाज को सभ्रांत तबकों के द्वारा मसखरी बता कर टालने की कोशिश की जाती थी, लेकिन लालू तो लालू थें, उनके पास अपने घोर विऱोधियों को पटकनी देने की अद्भूत कला मौजूद थी. और हमला भी ऐसा की जिससे कि किसी की मर्यादा और सामाजिक गरिमा को तनिक भी आंच नहीं आये.
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अब वही वाचाल लालू अपने बयान से घिरते नजर आने लगे हैं
लेकिन वही वाचाल लालू एक बार अपने ही बयानों में घिरते नजर आ लगे हैं. लगता है कि जैसे अपनी गर्दन का फंदा उन्होंने खुद ही तैयार करने की ठान ली हो, उनके एक बयान के बाद भाजपा बूरी तरह से हमलावर है, और किडनी की बीमारी से ग्रस्त लालू यादव को एक बार फिर से जेल भेजने की मांग की जा रही है.
हालांकि इसमें से अधिकांश चेहरे वही हैं, जिन्हे लालू ने कभी राजनीति का ककहरा सीखाया था, सियासी उलटबांसियों को समझाया था, इस बात की सीख दी है कि राजनीतिक दुश्मनी की एक सीमा होती है, उसका आधार दलीय प्रतिबद्धता के साथ ही राजनीतिक सिन्द्धातों के प्रति आपका समर्पण होता है.
कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बारे में दिया था बयान
दरअसल कल बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह के जन्म दिवस पर पटना के सदाकात आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लालू ने यह दावा कर सबों को चौंका दिया था कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को राज्य सभा भेजने के पीछे की जादुगरी उनकी ही थी. उन्होंने कहा कि अखिलेश बाबू किसी और को राज्य सभा भेजने के लिए कांग्रेस की ओर से उनके पास मदद की मांग करने आये थें, उन्हे देख कर मैंने सवाल किया कि आप खुद ही राज्यसभा क्यों नहीं जाते? हमारे इस सवाल का अखिलेश के पास कोई जवाब नहीं था, जिसके बाद हमने खुद सोनिया गांधी को फोन किया और उनसे सारे नाम काट कर अखिलेश को राज्य सभा भेजने को कहा, मेरी बात सुन कर सोनिया गांधी ने कहा कि आपकी बात को हम कैसे टाल सकते हैं, यदि आपको लगता है कि अखिलेश को राज्य सभा भेजा जाये तो आप वही करें. और इसके बाद अखिलेश प्रसाद सिंह के लिए राज्य सभा जाने का रास्ता साफ हो गया.
जेल में बंद लालू ने सोनिया को लगाया था फोन
लेकिन विवाद की वजह यह नहीं थी, दरअसल जिस समय यह बात हो रही थी, उस समय लालू यादव चारा घोटाले के मामले में रांची जेल में बंद थें, और उनके अनुसार उन्होंने जेल से ही सोनिया गांधी को फोन किया था. जैसे ही लालू यादव का यह बयान सामने आया, भाजपा लालू यादव के खिलाफ आक्रमक हो गयी, यह दावा किया जाने लगा कि जेल में बंद रहते लालू ने जेल मैन्युअल का उल्लंघन कर राजनेताओं को फोन किया है, इस मामले में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
अब देखना होगा कि जेल भेजने की इस मांग पर लालू का अंदाजे बयां क्या होता है, और वह कौन सा तीर अपनी कमान से निकाल कर अपने विरोधियों को एक और पटकनी देते हैं.
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