रांची(RANCHI): सेना जमीन घोटाले में ईडी की गतिविधियां एक बार फिर से तेज हो चुकी है. दावा किया जा रहा है कि ईडी इसी सप्ताह इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने का मन बना रही है, और इसके लिए जरुरी कि वह सारे सबूतों को जमा कर ले. जिसके आधार पर वह चार्जशीट को फ्रेम कर सके. हालांकि दावा किया जा रहा है कि ईडी के पास पहले ही सारे सबूत मौजूद है, और छापेमारी और गिरफ्तारी मात्र उन सबूतों को पुख्ता की एक कोशिश भर है.
अमित अग्रवाल और दिलीप घोष की गिरफ्तारी से तेज हुई गतिविधियां
यहां बता दें कि कल रात में अचानक से ईडी की गतिविधियां तेज हो गयी, और उसने अचानक से कोलकोता का बड़ा कारोबारी अमित अग्रवाल और आसनसोल का कारोबारी दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया, हालांकि दिलीप घोष की गिरफ्तारी की आशंका पहले से ही बनी हुई थी, लेकिन अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी अप्रत्याशित थी, लेकिन अब जबकि अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी हो चुकी है, इसके साथ ही विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी की आशंका भी तेज हो गयी है.
सेना जमीन घोटाले का मास्टर माइंड अमित अग्रवाल, विष्ण अग्रवाल और प्रेम प्रकाश
अब तक कि मिली जानकारी के अनुसार सेना जमीन घोटाले का मास्टर माईंड अमित अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल और प्रेम प्रकाश ही था. इनके ही इशारे पर यह पूरा मास्टर प्लान तैयार किया गया था, जिसको कार्यान्वित करने की जिम्मेवारी प्रदीप बागची को सौंपी गयी थी, बाद में प्रदीप बागची ने इस मामले में रिम्सकर्मी अफसर अली और दूसरे जमीन दलालों को अपने साथ कर लिया, उधर विष्णु अग्रवाल, अमित अग्रवाल प्रेम प्रकाश ने बड़े-बड़े अधिकारियों को सेट करने का जिम्मा उठाया, रांची के तात्कालीन डीसी छवि रंजन को गोवा की सैर भी इसी का हिस्सा था.
क्या है इन तीनों का कारोबार
यहां बता दें कि अमित अग्रवाल का कोलकाता के साल्टलेक सिटी में आवास है. कोलकाता में अरोड़ा स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के अलावा उसका झारखंड के जामताड़ा में मिहिजाम वनस्पति नामक प्रतिष्ठान भी है. प्रेम प्रकाश की पहचान झारखंड की राजनीति में सत्ता के दलाल के रुप में होती रही है, कहा जाता है कि सत्ता चाहे जिसकी भी रहे, सत्ता के गलियारे में उसकी पकड़ बनी रहती है, जबकि विष्णु अग्रवाल की पहचान पिछले दो दशक में खड़ी हुई है, पिछले एक दशक में यह फर्स से अर्स तक पहुंच गया, कभी रोजी-रोटी की तलाश में रांची पहुंचने वाला पीडीएस डिलर रहा विष्णु अग्रवाल की किस्मत रांची आते ही खुल गयी, और आज के दिन राजधानी के पॉस इलाकों में इसके दर्जनों फ्लैट हैं, दो-दो मॉल हैं, इसके साथ ही बड़े-बड़े प्लॉट है, दावा किया जाता है कि विष्णु अग्रवाल ने यह सारा साम्राज्य सफेदपोशों की काली कमाई को अपने धंधे में निवेश कर खड़ा किया है, यही कारण है कि विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी इतनी आसान नहीं मानी जाती है, दावा किया जाता है कि सत्ता के गलियारे में उसकी अच्छी खासी पकड़ है, सत्ता पक्ष हो या विपक्ष हर जगह उसके शुभचिंतक मौजूद हैं.
किसी भी समय हो सकती है विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी
लेकिन दूसरी ओर यह माना जा रहा है कि विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी अब महज एक औपचारिकता है, ईडी किसी भी समय उसे हिरासत में ले सकती है, हालांकि प्राप्त सूचना के अनुसार विष्णु अग्रवाल के द्वारा अभी भी अपनी बीमारी का हवाला दिया जा रहा है और ईडी से समय दर समय की मांग की जा रही है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि ईडी अब ज्यादा मोहलत देने के मुड में नहीं है, उसकी कोशिश किसी भी कीमत पर 14 जून के पहले इस मामले में चार्चशीट दाखिल करने की है.
जमीन दलालों और छवि रंजन को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है ईडी
यहां बता दें कि दिलीप घोष जगतबंधु टी इस्टेट कंपनी के संचालक हैं. इसी ने फर्जी रैयत प्रदीप बागची से सेना की जमीन की रजिस्ट्री करवायी थी, इस मामले में ईडी ने पहले ही रांची के तात्कालीन डीसी छवि रंजन,बड़ागाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, जमीन कारोबारी अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा खान, फैयाज खान व मोहम्मद सद्दाम को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
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