TNP DESK-मुम्बई का नामचीन उद्योगपति और स्पाइसजेट में करीबन 11 सौ करोड़ का निवेश कर सनसनी फैलाने वाले हरिहर महापात्रा की सियासी महात्वाकांक्षा झारखंड में परवान चढ़ने के पहले ही दम तोड़ गया. खबर है कि महापात्रा बगैर पर्चा भरे ही मुम्बई की उड़ान भर चुके हैं. इस प्रकार अब भाजपा की ओर से प्रदीप वर्मा और इंडिया गठबंधन की ओर से सरफराज अहमद का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है.
यहां ध्यान रहे कि हरिहर महापात्रा ने जैसे ही झारखंड से राज्य सभा में नामांकन के लिए फार्म की खरीद की. सियासी गलियारे में इस बात की आशंका गहराने लगी कि अब झारखंड में भी हिमाचल का खेल दुहराया जाने वाला है. दावा किया जाने लगा कि जरुर हरिहर महापात्रा को इस बात का भरोसा दिलाया गया होगा कि हिमाचल के बाद झारखंड में भी मैदान तैयार है, जरुरत सिर्फ एक अच्छे बल्लेबाज की है. जिसके पास तिजोरी की ताकत हो. जैसे ही यह खबर सामने आयी झामुमो ने मोर्चा खोल दिया. झामुमो महासचिव ने तंज कसते हुए कहा कि महापात्रा के पास 28 भूत पूर्व विधायकों का समर्थन है. लेकिन जहां तक बात झामुमो की है. तो इस बार भी किसी झारखंडी चेहरे को ही राज्य सभा भेजा जायेगा. सुप्रियो का इशारा भाजपा की ओर था, जिसके द्वारा कई बार गैर झारखंडी चेहरे को झारखंड से राज्यसभा भेजा गया है. और इस बार भी जिस प्रदीप वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है, झामुमो खेमे का दावा है कि वह भी मूल रुप से यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले हैं.
हरिहर महापात्रा के इस खेल से अपने को अलग कर चुकी थी भाजपा
हालांकि भाजपा महापात्रा के इस खेल से अपने आप को अलग कर रही थी, उसका दावा था कि उसका प्रत्याशी प्रदीप वर्मा हैं, और हम किसी खेल का हिस्सा नहीं बनने जा रहे हैं. लेकिन जिस तरीके से महापात्रा ने झारखंड में डेरा डाला, उसके बाद इस बात की चर्चा तेज होने लगी कि कहीं ना कहीं महापात्रा को आगे कर भाजपा खेला करने की तैयारी में है. और इसका आधार हाल के दिनों में कांग्रेस के अंदर विधायकों की नाराजगी है. दावा किया गया कि खेल इन्ही नाराज विधायकों के बूते किया जाने है. यहां याद रहे कि राज्य सभा में नामांकन के लिए प्रस्तावक के तौर पर सदन के कम से कम 10 सदस्यों के हस्ताक्षर जरुरत होती है. लेकिन अब लगता है कि महापात्रा इस संख्या को भी प्राप्त नहीं कर सकें. और आखिरकार उन्हे अपना कदम वापस उठाना पड़ा. यहां ध्यान रहे कि राज्यसभा जाने की महापात्रा की पहली कोशिश नहीं थी, इसके पहले ही कपिल सिम्बल के खिलाफ उन्होंने अपनी पत्नी प्रीति महापात्रा को मैदान में उतारा था, लेकिन तब भी हरिहर महापात्रा को सफलता हाथ नहीं लगी थी और इस बार भी उन्हे अपनी सियासी महात्वाकांक्षा पर लगाम लगानी पड़ी.
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