Ranchi-सोनाहातू अंचल कार्यालय घेराव मामले में निचली अदालत के द्वारा दो वर्ष की सजा का एलान किये जाने के बाद अपनी विधायकी गंवाने वाले सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सजा की अवधि को दो वर्ष के बदले एक वर्ष करने का फैसला सुनाया है. इसके पहले निचली अदालत की ओर से अमित महतो को दो वर्ष की सजा सुनाई गयी थी, इस फैसले के बाद उनकी विधायकी चली गयी थी. अपनी विधायकी जाने के बाद अमित महतो ने सिल्ली उपचुनाव में अपनी पत्नी सीमा देवी को उतारा था, सीमा देवी को विजय भी मिली थी. हालांकि 2019 के विधान सभा चुनाव में सीमा देवी आजसू प्रमुख सुदेश महतो के हाथों अपनी सीट नहीं बचा सकी और वह दूसरे स्थान पर खिसक गयी. इस प्रकार दोनों पति पत्नी पूर्व विधायक बन गयें.
खतियान आन्दोलन के समर्थन में छोड़ा झामुमो
इस बीच जब खतियान आन्दोलन ने जोर पकड़ा तो अमित महतो के द्वारा इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी झामुमो की घेराबंदी की जाने लगी, एक तय समय सीमा के अन्दर 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति की मांग की जाने लगी. उस समय अपनी मांग को पूरा नहीं होते देख कर अमित महतो ने झामुमो से रिश्ता तोड़ने का फैसला कर लिया. याद रहे कि अमित महतो की झामुमो से विदाई के बाद हेमंत सोरेन ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति की घोषणा भी कर दी. हालांकि यह नीति अभी तक कार्यान्वित नहीं हो पाया है. राज्यपाल के द्वारा इसे वापस राज्य सरकार को लौटाया जा चुका है.
दिलचस्प होगा सिल्ली का मुकाबला
अब इस फैसले के बाद साफ है कि सिल्ली के चुनावी अखाड़े में इस बार आजसू प्रमुख सुदेश महतो के जीत के सामने दिवार बन कर अमित महतो खड़ा होंगे, और यह मुकाबला काफी दिलचस्प होगा, क्योंकि 1932 के खतियान की मांग के समर्थन में अपनी ही पार्टी को छोड़ने के बाद अमित महतो का खतियान समर्थकों के बीच पकड़ बढ़ी है. लेकिन सवाल झामुमो का है, देखना होगा कि झामुमो सिल्ली के इस चुनावी दंगल में किसे मैदान में उतारती है और आखिरकार किसके हिस्से जीत जाती है.
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