रांची(RANCHI)- सेना जमीन घोटाले में आईएएस छवि रंजन की गिरफ्तारी हो चुकी है, 10-10 घंटों की लम्बी पूछताछ के बाद आखिरकार उन्हे गिरफ्तार करने का फैसला ले लिया गया, इसके पहले बड़गाईं सीआई भानु प्रताप, रिम्सकर्मी अफसर अली, जमीन दलाल प्रदीप बागची, इम्तियाज अहमद, मोहम्मद सद्दाम और फैयाज खान की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या सेना जमीन घोटाले के सभी किरदारों का पर्दाफास हो चुका है, या अभी कुछ और किरदारों का सामने आना बाकी है. क्या यह माना जाय कि यह सूची प्रारम्भिक है, और यह फेहरिस्त अभी काफी लम्बी होने वाली है.
छवि रंजन से पूछताछ के बाद यह सूची और भी लम्बी हो सकती है
तब सवाल उठता है कि वह कौन-कौन से संभावित किरदार हैं, जिनकी गिरफ्तारी आज नहीं तो कल हो सकती है, क्योंकि यह तो साफ है कि छवि रंजन की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी की कोशिश उन्हे रिमांड पर लेगी, बहुत संभव है कि उन्हे दूसरे सभी आरोपियों के समक्ष बिठाकर गहन पूछताछ की जायेगी. बहुत संभव है कि उसके बाद कई दूसरे किरदार हमारे सामने आयेंगे. अपनी गर्दन बचाने के फेर में दूसरे की भूमिका को सार्वजनिक किया जायेगा. उसकी परतें खोली जायेगी.
रांची निगम कार्यालय की ओर से दर्ज हुई थी पहली प्राथमिकी
ध्यान रहे कि इस मामले की पहली शिकायत निगम कार्यालय के द्वारा दर्ज करवायी गयी थी, निगम अधिकारियों के आदेश पर निगम कार्यालय में टैक्स कलेक्टर के पद पर कार्यरत दिलीप शर्मा ने जमीन दलाल और सेना की जमीन पर दावेदारी कर रहे प्रदीप बागची के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाया था, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरु हुई.
बताया जाता है उक्त जमीन पर निर्मित भवन का होल्डिंग नम्बर लेने के लिए जमीन दलाल प्रदीप बागची के द्वारा आवदेन दिया गया था, जब उसके आवेदन की जांच हुई तो निगम कार्यालय को उसके दस्तावेज पर संदेह हुआ, जिसका कोई संतोषजनक जवाब प्रदीप बागची के पास नहीं था. जिसके बाद निगम अधिकारियों का संदेह और भी गहरा गया. और अधिकारियों के द्वारा अपने एक कर्मी दिलीप शर्मा को प्राथमिकी दर्ज करवाने का आदेश दिया गया.
तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने सरकार को सौंपी थी जांच रिपोर्ट
मामला बढ़ने पर रांची के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने मामले में जांच आदेश दिया. और इस जांच रिपोर्ट को सरकार को सौंप दिया गया. इस जांच रिपोर्ट में भी उन सभी फर्जी दस्तावेजों का जिक्र था.
ईडी की इंट्री के साथ ही तेज हुई घटनावली
बाद में इस मामले में ईडी की इंट्री हो गयी. और ईडी के द्वारा इस मामले में ईसीआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी गयी. और वर्ष 2022 में इस मामले में पहली छापेमारी विष्णु अग्रवाल और अमित अग्रवाल के ठिकानों पर की गयी. यहीं से ईडी की टीम को इस मामले में सुराख दर सुराख मिलने लगें, जिसके बाद 13 अप्रैल को छवि रंजन और उपर वर्णित दूसरे सभी आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की शुरुआत हुई और पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी कर ली गयी.
पीपीएस उदय शंकर के आवास पर छापेमारी इस मामले की अहम कड़ी
सदन रहे कि ईडी ने इस मामले में अब तक की सबसे अहम छापेमारी सीएम सचिवालय में कार्यरत और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक कुमार सिन्हा उर्फ पिन्टू के पीपीएस उदय शंकर के आवास पर किया था. हालांकि उदय शंकर के आवास से जब्त दस्तावेजों से ईडी को क्या जानकारी मिली, अभी इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस विष्णु अग्रवाल और अमित अग्रवाल के ठिकानों पर पहली छापेमारी हुई थी, क्या ईडी अब उनके बेहद करीबन पहुंच चुकी है?
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